रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक के 15वें संस्करण की बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। इसके बाद एक कार्यक्रम में सोमवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत के पास कुशल राजनियकों व राजनेताओं की भरमार है। इनकी सहायता से भारत, चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) प्रक्रिया का फायदा बिना कुछ गंवाए उठा सकता है।
दिल्ली के प्रमुख थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रथम अलेक्जेंडर कदाकिन व्याख्यान में रूसी विदेश मंत्री ने शिरकत की। इसके बाद रूसी विदेश मंत्री के साथ सवाल-जवाब किए गए।
इस दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि “मैं 100 प्रतिशत मानता हूं कि भारत के पास कुशल राजनियक व राजनेता है। ये कुशल राजनियक व राजनेता चीन की ओबीओआर प्रक्रिया से भारत की स्थिति का त्याग किए बिना ही लाभ दिलवाने में सक्षम है।“
जब सर्गेई लावरोव से चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में रूस के शामिल होने की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रूस के पास अपनी कॉरिडोर है और इस तरह के कॉरिडोर और कनेक्टिविटी पहल के लिए बड़े क्षेत्र उपलब्ध है।
मध्य एशियाई देशों ने ओबीओआर पर किए हस्ताक्षर
लावरोव ने ओबीओआर अवधारणा बहुत ही रोचक माना है और गहरी क्षेत्रीय व्यापार और निवेश के लिए सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाने पर जोर भी दिया। लावरोव ने कहा कि लगभग सभी मध्य एशियाई देशों ने ओबीओआर में सहयोग के लिए पहले ही हस्ताक्षर कर लिए है।
संभावना है कि रूस भी ओबीओआर का सहयोगी बन सकता है। गौरतलब है कि भारत सीपीईसी पर विरोध दर्ज करवा चुका है। क्योंकि ये पाकिस्तान में विवादित पीओके से होकर गुजर रही है।
इसके अलावा लावरोव ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण की सराहना की। लावरोव ने कहा कि किसी भी विवाद का हल शांतिपूर्ण तरीके से ही निकाला जा सकता है। बल व युद्ध का उपयोग करने भी समस्या का समाधान नहीं होता है।
लावरोव ने रूस व भारत की साझेदारी को मजबूत करते हुए कहा कि दोनों देश मिलकर एशिया प्रशांत क्षेत्र में कई समस्याओं का समाधान कर सकते है।