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    चीनी प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन से आर्थिक मदद की गुहार लगाने के लिए वहां दौरे पर गए हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आधिकारिक वार्ता के दौरान सैन्य सम्बंधों को मज़बूत करने पर सहमती जताई है।

    दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने साझा बयान जारी कर कहा कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने और दोनों राष्ट्रों के मध्य मसलो को सुलझाने में चीन पाकिस्तान का सहयोग करेगा। साथ ही चीन और पाकिस्तान ने चीन-पाक आर्थिक गलियारा परियोजना के नकारात्मक आरोपों को खारिज कर दिया था और सीपीईसी को हर खतरे से सुरक्षित बताया था।

    रक्षा, सुरक्षा और आतंक रोधी अभियान पर चीन और पाकिस्तान ने सहयोग पर रजामंदी जताई थी, साथ ही दोनों देशो के मध्य उच्च स्तर की सैन्य अधिकारियों की बैठक करने पर भी सहमत हुए थे।

    ख़बरों के मुताबिक चीन ने शांति के लिए पाकिस्तान द्वारा उठाये कदमों की सराहना की थी। चीन ने पाकिस्तान के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल करने का समर्थन किया है। बीजिंग ने कहा कि एनएसजी में पाकिस्तान का वह स्वागत करता है। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान एनएसजी के सदस्य नहीं है।

    इमरान खान के चीनी दौरे के दौरान दोनों राष्ट्रों ने 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे। दोनों राष्ट्रों के मध्य अर्थव्यवस्था समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई थी। साझा बयान के मुताबिक दोनों राष्ट्र रणनीतिक और राजनीतिक भागीदारी एक लम्बे अंतराल तक बनाये रखेंगे।

    चीन ने दोहराया कि पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्ते सदैव उनकी विदेश नीति में पहले स्थान पर होंगे। पाकिस्तान और चीन के मध्य 50 बिलियन डॉलर की सीपीईसी परियोजना चीन के काश्गर से पाकिस्तान के अरब सागर में स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगी। इस परियोजना के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरने के कारण भारत इसका विरोध करता रहा है और भारत व चीन के मध्य समझौते इस परियोजना के कारण मुक्कमल नहीं हो पाते हैं।

    भारत के राजदूत ने कहा था कि अगर सीपीईसी परियोजना अन्तराष्ट्रीय कानून के तहत संपन्न होगी, तो भारत को कोई समस्या नहीं होगी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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