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    चीनी विदेश मंत्री

    चीन ने शुक्रवार को ऐलान किया कि 37 राष्ट्र और उत्तर कोरिया के प्रतिनिधि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की बैठक में शामिल होंगे। चीन की इस परियोजना की वैश्विक जगत में काफी आलोचना हुई है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत एक ट्रिलियन डॉलर है जिसमे एशिया, अफ्रीका और यूरोप में रेल, सड़क परियोजनाओं का निर्माण करना है।

    बीआरआई की परियोजना ने अमेरिअ और यूरोप को दो भागो में विभाजित कर दिया है। अपारदर्शी समझौते और कर्ज की चेतावनियों के बावजूद इसमें शामिल होने वाले राष्ट्रों की तादाद बढ़ती जा रही है। इस योजना में प्रवेश करने वाला इटली यूरोपीय यूनियन का पहला राष्ट्र है।

    सूची में शामिल राष्ट्रों के साथ बीजिंग के मज़बूत रिश्ते हैं इसमें दक्षिणी पूर्वी एशिया और पूर्वी यूरोपीय देश शामिल है। अमेरिका ने कहा कि “वह इस सम्मलेन में उच्च स्तर के प्रतिनिधियों को नहीं भेजेगा।”

    चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि “हमारा पड़ोसी उत्तर कोरिया भी प्रतिनिधि समूह को भेजेगा। यह सामान्य है क्योंकि यह एक आर्थिक सहयोग की पहल है लेकिन किसी भी देश को किसी अन्य को शामिल न होने देने का कोई अधिकार नहीं है।” चीनी की बीआरआई परियोजना के बाबत चिंताएं बढ़ती जा रही है क्योंकि पश्चिमी देशों के नेताओं ने इस परियोजना को कर्ज का जाल कहा है।

    बीते वर्ष श्रीलंका को हबनटोटा बंदरगाह 99 वर्षों के लिए चीन के सुपुर्द करना पड़ा था क्योंकि वह प्रोजेक्ट के लिए लिए 1.4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में असमर्थ था। इन आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए वांग यी ने कहा कि “जो खुद कुछ अच्छा नहीं कर सकते हैं, उन्हें दूसरो को रोकने का कोई हक़ नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि “ऐसी विचारधारा अरचनात्मक है और दूसरो के लिए मददगार नहीं है। कुछ लोगो के मुतबिक,यह परियोजना भूराजनीतिक ताकत का खेल है, लेकिन बीजिंग इसरार करता है कि बीआरआई के द्वार सभी के लिए खुले हैं। इस तरह की साझेदारी भूराजनीतिक औजार नहीं है लेकिन सहयोग का मंच जरूर है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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