Sat. Nov 23rd, 2024
    उइगर मुस्लिम समुदाय

    चीन में निरंकुशित शासन प्रणाली किसी से छिपी नहीं है चाहे फिर वह इसाइयों के पवित्र स्थलों को गिराना हो या मुस्लिम समुदाय की धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाना हो। जब सत्ता पर शासित ही अत्याचार करना पर आमादा हो तब शोषित समुदाय कहाँ हाथ फैलाएं।

    चीन के जियाजिंग प्रांत में नज़रबंद 10 लाख से अधिक उइगर समुदाय के मुस्लिमों पर आतंकवाद के कथित आरोप में नजरबंद बनाया है।

    पिछले दशक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दस्तावेज जारी कर खुलासा किया कि चीन ने तुर्की अल्पसंख्यकों की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी थी साथ ही उइगर समुदाय को उनके नाम बदलने और रैली में शामिल होने के लिए दबाव डाला था।

    हालांकि बीजिंग ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जियाजिंग प्रांत को खतरनाक हमलों और स्थिरता बनाये रखने के लिए काफी कड़े सुरक्षा नियम बनाये गये है।

    उइगर मानवाधिकार परियोजना के प्रमुख नूरी तुर्केल ने बयान दिया की चीन द्वारा उठाये गये सख्त कदम सवालों के घेरे बने में है। साथ ही नूरी ने कहा की लाखों लोगों को कैम्प में नज़रबंद रखकर वह सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा का राग अलापते हैं। इसका कोई तुक नही बनता है।

    चीन केंद्र के उपाध्यक्ष विक्टर गाओ ने कहा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग आतंकवाद, चरमपंथ और अलगावाद के खतरे का भय है इसलिए इतने सख्त क़ानून बनाये गए है।

    गाओ ने कहा मेरे ख्याल से किसी भी सरकार के पास ये अधिकार है की वह अपनी निर्दोष जनता के संरक्षण के लिए जरुरी कदम उठाये।

    चीन की यह दमनकारी नीति सन 1949 में तुर्कस्तान पर कब्ज़ा करने बाद शुरू हो गई थी। उइगर मुस्लिमों की धार्मिक गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया जाता था। चीनी भाषा का ज्ञान न होने पर उन्हें नौकरियों से वंचित रखा जाता था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *