वांशिगटन ने चीनी नागरिको और संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू किया था इसके लिए चीन ने गुरूवार को अमेरिका की आलोचना की थी। बीजिंग ने कहा कि यह कदम एक गंभीर उल्लंघन है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “सभी पक्षों के वैध अधिकार और हितो के बावजूद अमेरिका ने प्रतिबंधों को थोपा है। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधो के मूल अधिकारों का एक गंभीर उल्लंघन है।”
हाल ही में अमेरिका ने ऐलान किया था कि वह चीनी शिपिंग कंपनियों पर ईरानी तेल को निरंतर लादने के कारण प्रतिबंधों को लागू कर रहे हैं जबकि ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबन्ध लागू है। चाइना कांकोर्ड पेट्रोलियम कम्पनी, कुनलून शिपिंग कम्पनी, पेगासस 88 लिमिटेड और कॉस्को शिपिंग टैंकर पर ईरानी पेट्रोल को निर्यात करने का आरोपों के तहत प्रतिबन्ध लगाये गए हैं।
मध्य पूर्व में नए तनावों के बढ़ने के बाद अमेरिका के प्रतिबंधो को लागू किया गया है। 14 सितम्बर को सऊदी अरब की दो तेल कंपनियों पर ड्रोन से हमला किया गया था। अप्रैल में अमेरिका ने भारत और चीन सहित सभी मुल्क को चेतावनी दी थी कि उन्हें ईरानी तेल को आयात करना बंद करना होगा या फिर अमेरिका के पतिबंध उन पर लागू किये जायेंगे।
ईरानी तेल के सबसे बड़े आयातक भारत और चीन है और अगर दोनों देश ट्रम्प की मांगो को पूरा करने में नाकाम होते हैं और इसका असर दोनों देशो के द्विपक्षीय संबंधो पर पड़ सकता है।
अमेरिका ने साल 2015 की ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को बीते वर्ष तोड़ दिया था और इसके बाद सभी प्रतिबंधों को तेहरान पर वापस थोप दिया था। वांशिगटन ने तेल व्यापार के साथ ही बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली पर प्रतिबन्ध थोप दिए थे।