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    शी जिनपिंग

    निगरानी समूह रिपोर्ट्स विथाउट बॉर्डर ने सोमवार को आगाह करते हुए रिपोर्ट जारी की कि चीन एक “न्यू वर्ल्ड मीडिया आर्डर” को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, ताकि आलोचना से बचा और उसका प्रतिकार किया जा सके। यह प्रोजेक्ट स्वतंत्र प्रेस के लिए खतरा है।

    चीन में कम्युनिस्ट विभाग जनता तक जाने वाली जानकारी पर सख्ती से नियंत्रण रखती है। देश के बारे में अनुचित कंटेंट और वेबसाइट को चीन ने ब्लॉक कर दिया है। आरएसएफ ने कहा कि “बीजिंग सेंसरशिप के तरीकों का निर्यात कर रहा है और अन्य देशों का सूचना की पंहुच पर नियंत्रण कर रहा है। अपने दूतावास और चीनी संस्कृति व भाषा के नेटवर्क के जरिये चीन अपनी विचाधारा पर अमल करने और उसके इतिहास के काले पन्नो को मिटाने के लिए दुसरे का शोषण और धमकी देने से भी नहीं हिचकिचायेगा।”

    चीन की सीमा के बाहर अपने प्रभुत्व को कायम रखने के लिए बीजिंग अपनी अतर्राष्ट्रीय टीवी प्रसारण का आधुनिकरण कर रहा है, विदेशी मीडिया में निवेश, मीडिया से प्रचार खरीदने और विदेशों से पत्रकारों को चीन की दौरा करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

    चीनी सरकार ने सॉफ्ट पॉवर और संयुक्त राजनीतिक और कारोबारी हितो के जरिये वैश्विक स्तर पर अपनी सार्वजानिक छवि को एक आकर दे रखा है। आरएसएफ ने ट्रोजन हॉर्स पालिसी की जानकारी भी दी जिसके तहत बीजिंग निरंतर दिग्गज अखबारों के विज्ञापनों को भी खरीदता हैं। इसमें द वाल स्ट्रीट जर्नल, ले फिगारो और डेली टेलीग्राफ शामिल है।

    आरएसएफ के ईस्ट एशिया ब्यूरो के सेड्रिक अलवीयनि ने बताया कि “चीन के विभागों द्वारा समस्त विश्व में प्रचारित न्यू वर्ल्ड मीडिया आर्डर पत्रकारिता के खिलाफ है। चीन का अभियान न सिर्फ मीडिया के लिए खतरा है बल्कि लोकतंत्र के लिए भी नुकसानदेय हैं। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम की साल 2018 की रिपोर्ट में चीन 180 देशों की सूची में 176 वे पायदान पर था।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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