चीन और अमेरिका के बीच चल रहे भीषण व्यापार युद्ध मे दोनों देशों ने शब्दबाण छोड़कर आग में घी का काम किया है।
चीन के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने बयान दिया कि चीन अमेरिका की धमकियों से नही डरने वाला है। उन्होंने कहा संरक्षणवाद से वह खुद को कष्ट पहुंचाएगा और उनकी एकतरफ़ा चाल सभी को नुकसान पहुचायेगी।
सनद हो हाल ही में दोनों देशों ने एक-दूसरे के देश से निर्यातित माल पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था तभी से दोनों ताकतवरों देशों के मध्य खटपट शुरू हो गयी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन पर आरोप लगाया कि बीजिंग की व्यापार नीति का विरोध करने के कारण चीन ने आगामी अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में दखलंदाज़ी करने की योजना बनाई है।
चीनी विदेश मंत्री ने अपने देश का बचाव करते हुए कहा कि बीजिंग अब धमकी और झुकना बर्दास्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा चीन ने मात्र अपने हित के लिए नहीं बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए ये कदम उठाए है।
उन्होने कहा चीन ने अपने वादे को पूरा किया है और विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक मनमुटाव को दूर करने की प्रतिबद्धता भी दिखायेगा। उन्होंने कहा दो देशों के बीच संबंध दायित्वों के निर्वाह से बनते है ना कि अपने वादे से मुकर जाने से।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूएन की बैठक में चीनी राष्ट्रपति के साथ उनके रिश्ते में खटपट की बात कही थी। साथ ही चीन पर तंज कसते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने बीजिंग पर अन्य देशों के लिए बाज़ार न खोलने का आरोप लगाया।
चीन सदैव अपनी विदेश नीति का बचाव करता है कि वह अन्य देशों के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप नहीं करता जबकि चीन की विस्तारवादी रणनीति दुनिया देख रही है। यूएन चीन पर उइगर मुस्लिमों और ईसाइयों की धार्मिक आज़ादी छीनने और अत्याचार करने के भी आरोप लगा चुका है।
चीनी अधिकारी धमकी दे चुकें हैं कि जब तक अमेरिका व्यापार विवाद को हल नहीं करता, बीजिंग बातचीत नहीं करेगा।
साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखलंदाजी का मामला भी सामने आया था।
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने इजरायल की राजधानी विवादित पवित्र शहर जेरुसलम को बनाने की बात कही। साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि तोड़ दी। नार्थ कोरिया पर प्रतिबंध लगाये और ब्रिटेन व फ्रांस से सीरिया की रासायनिक हथियारों की फैक्ट्री में मिसाइल अटैक करवाये।