अमेरिका के संभावित ताइवान दौरे को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि ताइवान और अमेरिका के बीच किसी भी तरह के सैन्य संपर्कों, आधिकारिक आदान-प्रदान और हथियारों की बिक्री का चीन कड़ा विरोध करता है। चीन ने गुरूवार को अमेरिका पर अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
दरअसल मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 के वित्तीय वर्ष के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम में हस्ताक्षर किए है। जिसमें ताइवान और अमेरिका के बीच नौसेना के जहाजों द्वारा आपसी यात्राओं व सैन्य गतिविधियों को अधिकृत करता है। इसी पर चीन विरोध कर रहा है कि ताइवान उसका क्षेत्र है उसमें अमेरिका को बीच में नहीं आना चाहिए।
ताइवान पर चीन करता है अपना दावा
कुछ दिनों पहले एक वरिष्ठ चीनी राजनियक ने कहा था कि अगर अमेरिकी युद्धपोत ताइवान द्वीप पर बंदरगाह का दौरा करता है तो चीन द्वारा ताइवान पर हमला किया जाएगा। गौरतलब है कि चीन इसे अपना क्षेत्र बताने का दावा करता है। सोमवार को चीनी जेट विमानों ने ताइवान द्वीप के चारों ओर चक्कर भी लगाए थे।
गौरतलब है कि अमेरिका ने साल 1979 में ताइवान के साथ औपचारिक राजनियक संबंध स्थापित किए थे, जिसके बाद अमेरिका ने बीजिंग के साथ रिश्ते स्थापित किए थे। ताइवान के साथ रिश्ता खत्म होने के बाद अमेरिका की यह संभावित पहली यात्रा होगी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे वन चीनी नीति का उल्लंघन माना है और अमेरिका पर आरोप लगाया कि वो चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान व अमेरिका की नजदीकी या संभावित सैन्य संपर्कों का चीन सख्ती से विरोध करता है।
ताइवान चीनी गतिविधियां बढ़ने से हुआ चिंतित
ताइवान अपने द्वीप के पास में चीनी गतिविधियां बढ़ने से चिंतित हो गया है। कुछ महीनों में देखा जा रहा है कि चीनी वायु सेना द्वारा ताइवान द्वीप के चारों तरफ अभ्यास किए जा रहे है। चीन ताइवान में सैन्य तैनाती लगातार बढ़ा रहा है।
इस पर ताइवान सरकार इसे गैर जिम्मेदाराना करार देते हुए चीनी सेना का तुरंत जवाब दे रही है। ताइवान राष्ट्रपति के प्रवक्ता एलेक्स हुआंग ने बुधवार को ताइवान मीडिया से बातचीत में कहा कि ताइवान रक्षा मंत्रालय चीनी गश्ती दल पर करीबी से नजर रखे हुए है और अपनी सुरक्षा के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त है।
ताइवना का झुकाव हो रहा अमेरिका की तरफ
चीन ताइवान को अपने नियंत्रण में बनाए रखने के लिए उस पर दबाव बनाता आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से चीन ने अमेरिका का रूख किया हुआ है। ताइवान ज्यादातर अमेरिकी हथियारों से लैस है।
साथ ही ताइवान अपने द्वीप पर चीन की जगह अमेरिकी नौसेना को बढावा दे रहा है। चीन, ताइवान व अमेरिकी के बढ़ते सैन्य आदान-प्रदान से तनाव में है।
चीन को संदेह है कि कहीं ताइवान उसके नियंत्रण से बाहर निकलकर अमेरिका के नियंत्रण में ना आ जाए। वहीं ताइवान,चीन के साथ शांति बनाए रखना चाहता है लेकिन ताइवान की सुरक्षा का समर्थन प्राथमिकता के रूप में करता है।