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    चीनी मिल

    अमेरिका और चीन के मध्य चल रही व्यापार जंग से भारतीय व्यापार में मिठास घुल रही है। भारतीय अधिकारी के मुताबिक चीन ने भारत से काफी मात्र में कच्ची चीनी का आर्डर दिया था। आगामी माह आयोजित दक्षिण एशिया के राष्ट्रों की बैठक में भारत के प्रतिनिधि चीनी मिल के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। चीन की शुगर एसोसिएशन के चेयरमैन लिऊ हांडे ने कहा कि चीनी कंपनियां तभी चीनी खरीदेगी जब इसके दाम अच्छे होंगे।

    अमेरिका के साथ शुल्क जंग के कारण चीन को अन्य राष्ट्रों के साथ सम्बन्ध मज़बूत बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में चीन ने बासमती चावलों के अलावा अन्य चावलों के आयत का एेलान किया था और यह इसके बाद दूसरा कृषि समझौता होगा।

    संघाई बुयुन इन्वेस्टमेंट के मेनेजर के मुताबिक चीन को अब अपने व्यापारे साझेदारों के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन की जरुरत है। उन्होंने कहा कि साझेदारो से अच्छी मात्रा में माल का आयत से अमेरिका के नुकसान की भरपाई हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शायद भारत की उम्मीदों के मुताबिक चीनी चीनी का आयात न करे, ज्यादा से ज्यादा सात मिलियन डॉलर की चीनी का आयात करें।

    पिछले साल मई में चीन ने शुगर के आयात पर उच्च शुल्क दर लगा दी थी। चीनी शुगर एसोसिएशन ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि कितना माल आयात किया गया है या भारत और चीन के मध्य शुल्क को कम करने के लिए कोई समझौता किया गया है। चीन को चीनी निर्यात करने के बाद भारत ब्राज़ील के अधिक ऊपर पंहुचकर दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बन जायेगा।

    भारत सरकार ने चीनी मिलों को अन्य राष्ट्रों में सेल को बढाने के लिए आर्थिक सहायता मुहैया की है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक भारत साल 2019 के शुरुआत से चीन को 2 मिलियन चीनी के निर्यात करेगा। चीन को जल्द ही अपने मिलो को आयात परमिट जारी कर देना चाहिए।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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