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    ताइवान व चीन

    चीन व ताइवान के बीच में एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। चीन ताइवान को अपने नियंत्रण में बनाए रखने के लिए उस पर दबाव बनाता आ रहा है। अब ताइपे ने एक वार्षिक रक्षा समीक्षा में चेतावनी दी है कि चीन का निरंतर बढ़ रहा सैन्य-अभ्यास ताइवान की सुरक्षा के लिए भारी खतरा है। गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र ही मान रहा है। चीन इसके लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल भी कर सकता है।

    साल 1949 में दोनों देश एक गृहयुद्ध के बाद विभाजित हो गए थे। हालांकि ताइवान एक स्व-सत्तारूढ़ लोकतंत्र है, उसने कभी औपचारिक रूप से अपने स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है।

    पिछले साल ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के पद संभालने के बाद से बीजिंग ने द्वीप के आसपास सैन्य अभ्यास तेज कर दिए हैं क्योंकि राष्ट्रपति ने दोनों क्षेत्रों को वन चाइना का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था।

    ताइवान व चीन में है काफी अंतर

    स्थानीय मीडिया की माने तो इस साल चीनी युद्धपोतों ने ताइवान के आस-पास कम से कम 20 अभ्यास किए है, जबकि पिछले साल 2016 में आठ अभ्यास किए थे।

    ताइवान के रक्षा मंत्री फेंग शीह कुआन ने मंगलवार को जारी 14 वीं राष्ट्रीय रक्षा रिपोर्ट में कहा है कि चीनी सैन्य बलों ने ताइवान में सुरक्षा के लिए भारी खतरा पैदा किया है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान की सेना को चीनी सेना के सामने प्रतिरोधक रणनीति को अपनानी होगी। फेंग के मुताबिक ताइवान, चीन के रक्षा बजट और सैन्य विकास का मुकाबला नहीं कर सकता।

    चीनी सैनिकों की संख्या जहां पर 20 लाख है वहीं ताइवान के सैनिकों की संख्या महज 210000 है। चीन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के जवाब में ताइवान ने भी साइबर सेना कमांड सेंटर की स्थापना की है।