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    भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राम नाथ कोविंद

    चीन की मथ्व्कांशी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को अब झटके लगते नज़र आ रहे हैं क्योंकि इस परियोजना के सभी प्रमुख देश चीनी कर्ज के कारण पीछे हटते दिख रहे हैं।

    भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने वियतनाम के दौरे के दौरान चीनी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के बाबत कहा कि भारत सहयोग के लिए एक नहीं बल्कि कई सड़के खोलेगा।

    भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद तीन दिवसीय वियतनाम की यात्रा पर गए हैं। उन्होंने यह बयान देश के राष्ट्रीय सदन को संबोधित करते हुए दिया था। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की शुरुआत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2013 में की थी जिसका मकसद राष्ट्रों को कर्ज मुहैया करके, विश्व में बुनियादी ढांचों का निर्माण करना था।

    चीन आधुनिक ढाँचे के निर्माण का बहाना देकर कई विकासशील देशों को फांस रहा है। पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों को चीन ने फायदा उठाया है। श्रीलंका को हबंटोटा बंदरगाह कर्ज के कारण चीन को मजबूरन सौंपना पड़ा था। चीन ऐसे विकासशील देशों को कर्ज के जान में फांसकर इनका बखूबी शोषण कर रहा है।

    चीन ने श्रीलंका को विकास के लिए उच्च ब्याज दरों पर कर्ज दिया था, जिसे श्रीलंका की सरकार लौटाने में असमर्थ थी। कर्ज के निरंतर बढ़ने के कारण श्रीलंका को मजबूरन हबंटोटा बंदरगाह चीनी सरकार के हवाले करना पड़ा था। राष्ट्रपति के तौर पर राम नाथ कोविंद की दक्षिण पूर्वी एशिया में यह पहली यात्रा थी। दो दिवसीय दौरे के लिए राष्ट्रपति कोविंद ऑस्ट्रेलिया भी जायेंगे।

    हाल ही में मलेशिया, मालदीव, अफ्रीका के कई राष्ट्रों और चीन का खासा हमदर्द पाकिस्तान ने भी बीआरआई परियोजना की समीक्षा की बात कही थी। मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार ने तो चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता भी रद्द करने को कहा है, उन्होंने कहा कि चीन के साथ यह डील हमारी भूल थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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