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    चीन उत्तर कोरिया प्योंगयांग

    चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के निदेशक सॉन्ग ताओ उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग की यात्रा पर गए हुए है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रतिनिधि के तौर पर सॉन्ग ताओ ने उत्तर कोरिया के शीर्ष स्तर के अधिकारी के साथ मुलाकात की।

    इस मुलाकात के दौरान चीन की तरफ से भेजे विशेष प्रतिनिधि ने चीन में हाल ही में हुए कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के नतीजे के बारे में जानकारी दी।

    इस दौरान सॉन्ग ताओ ने उत्तर कोरिया के अधिकारी को बताया कि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ने चुनावों में जीत हासिल की और शी जिनपिंग ने दुबारा राष्ट्रपति बनकर अपनी ताकत मजबूत की। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार इसकी पुष्टि की गई।

    द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का वादा

    दोनों प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी पार्टियों व देशों के बीच संबंधों के बारे में बात की। इस दौरान कहा कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को अधिक मजबूत करना होगा जिससे दोनों देश लाभान्वित हो।

    लेकिन इस दौरान उत्तर कोरिया के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रमों का कोई जिक्र नहीं किया गया। उत्तर कोरिया की एक वेबसाइट ने बताया कि चीन के विशेष प्रतिनिधि सॉन्ग ताओ ने उत्तर कोरियाई प्रतिनिधि को चीन के 19वीं नेशनल कांग्रेस के बारे में विस्तार से बताया और दोनों पक्षों और देशों के बीच पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंधों को लगातार विकसित करने के लिए चीन के दृष्टिकोण पर जोर दिया।

    सॉन्ग ताओ के बारे में स्पष्ट नहीं है कि वह उत्तर कोरिया में कितने समय तक रहेंगे। अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि चीनी प्रतिनिधि सॉन्ग ताओ उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से मुलाकात करेंगे या नहीं।

    परमाणु हथियारों को लेकर नहीं की वार्ता

    पहले समझा जा रहा था कि चीन अपने विशेष दूत को भेजकर उत्तर कोरिया पर दबाव बनाएगा और उसे परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए कहेगा। इसके लिए हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन का दौरा किया था।

    ट्रम्प ने चीन से उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने व व्यापार को बंद करने की मांग की थी। लेकिन उत्तर कोरिया के साथ अभी तक परमाणु हथियार व बैलिस्टिक निर्माण कार्यक्रम को रोकने के बारे में चीन के सॉन्ग ताओ ने कोई वार्ता नहीं की।

    जिससे इन उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया। जिसका मतलब साफ है कि चीन, उत्तर कोरिया के साथ अपने संबंधों को कम करने के बजाय मजबूती प्रदान करेगा और हथियार निर्माण को लेकर उस पर दबाव नहीं बनाएगा।