अफगानिस्तान ने चाहबार बंदरगाह के मार्ग से पहला कन्साइनमेंट भारत की भेज दिया है। अफगानिस्तान के निरमोज़ प्रान्त में इस समारोह का आयोजन किया गया था। जिसे राष्ट्रपति अशरफ गनी ने हरी झंडी दिखाई थी। इस समारोह में भारत, ईरान, तुर्की के राजदूत और इंडोनेशिया व कजाखिस्तान के राजनयिक भी शरीक हुए थे।
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570 टन सामान
भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बढावा देने के लिए ईरान ने चाहबार बंदरगाह को खोला था। इसका मकसद व्यापार का प्रचार करना है। 23 ट्रकों में कारपेट, ड्राई फ्रूट, रूई, स्टॉन व अन्य सामान था। इसका वजन 570 टन था।
अधिकरिक सूत्रों के मुताबिक भारत ने साल 2017 से गेंहू, दाल व अन्य सामान का 1.1 लाख टन भारी कन्साइनमेंट चाहबार बंदरगाह के माध्यम से अभी तक पहुंचा चुका है।
भारतीय कंपनी ने लिया नियंत्रण
ईरान ने चाहबार बंदरगाह का विकास के लिए आधिकारिक नियंत्रण की कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को सौंप दिया था। कंपनी ने जल्द ही चाहबार पर अपना दफ्तर शुरू कर दिया और चाहबार में स्थित शाहीद बहेस्ती बंदरगाह का नियंत्रण भी ले लिया है। सालों की इस मशक्कत के बाद भारत इस बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस के भागों में पंहुच सकेगा।
ट्रम्प प्रशसन की तरफ से आज़ादी मिलने के बाद मोदी सरकार ने चाहबार बंदरगाह के विकास कार्य को जारी रखा। जानकार व्यक्तियों ने कहा कि यह बंदरगाह यूरेशिया तक पहुँचने का द्वार है और इससे चारो तरफ से घिरे अफगानिस्तान तक पहुंचना भी आसान हो जायेगा।
भारत ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की फरवरी यात्रा के दौरान बंदरगाह को “शोर्ट टर्म लीज” समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, ताकि बंदरगाह के इस अभियान की शुरुआत की जा सके। नई दिल्ली ने चाहबार बंदरगाह के काम्प्लेक्स के लिए 50 करोड़ डॉलर की राशि देने का वादा किया था, इसके आलावा 23 करोड़ 50 लाख डॉलर बंदरगाह के विस्तार के लिए देने हैं।