अफगानिस्तान ने कहा कि ईरान के चाहबार बंदरगाह के निर्माण में उनके सहयोगी अमेरिका ने जो लचीलापन दिखाया है, वह सराहनीय है। इस बंदरगाह को अमेरिका ने ईरानी प्रतिबंधों से मुक्त रखा है, जिसका निर्माण भारत कर रहा है। ट्रम्प प्रशासन ने कई मुद्दों पर भारत को प्रतिबंधों से रियायत दी थी, जिसमे बंदरगाह का निर्माण और अफगानिस्तान से जुड़ती हुई रेलवे लाइन है।
अमेरिकी प्रतिबंधों से रियायत
ईरानी सरकार पर निशाना साधते हुए अमेरिका ने ईरान पर अब तक के सबसे कठोर प्रतिबन्ध लगाये हैं। इन प्रतिबंधों से ईरान की बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र को बेहद प्रभावित हुई है। बहरहाल, अमेरिका ने आठ देशों ईरान, चीन, इटली, ग्रीस, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को प्रतिबंधों से रियायत बरतकर, ईरानी तेल को खरीदना जारी रखने की की अनुमति दी थी।
अफगानिस्तान में विकास कार्य
यूएन में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि महमूद सैकल ने कहा कि व्यापार के लिए चाहबार एक महत्वपूर्ण मार्ग है, क्योंकि यह हिन्द महासागर को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और अधिक दूरी तक जोड़ता है। उन्होंने कहा कि हम इसके लिए अपने रणनीतिक साझेदार के लचीलेपन की सराहना करते हैं। अमेरिका ने प्रतिबंधों से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बंदरगाह कार्य से मुक्त रखा है।
सैकल ने कहा कि पिछले साल काबुल ने भारत, तज़ाकिस्तान, तुर्की, यूरोप, रूस, यूएई, सऊदी अरब और चीन के साथ हवाई कार्गो गलियारे का संचालन शुरू किया था। ताकि अफगान उत्पादों का विदेशों में निर्यात बढाया जा सके।
भारत के शांति प्रयास
यूएन में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि तमनय लाल ने कहा कि विकास परियोजनाओं के लिए भारत बेहद करीब से काबुल के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं, कि आतंकियों को दशकों से सुरक्षित पनाह मुहैया की जा रही है। तालिबान की गतिविधियों, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी समूहों कों रोकना होगा।
साथ ही भारत के प्रतिनिधि ने तालिबान के नए प्रमुखों पर प्रतिबन्ध लागने से इनकार करने की भी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अफगान नागरिकों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदों अपर यूएन खरा नहीं उतर पा रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति समस्त विश्व में शांति के लिए बेहद जरुरी है।