सिस्तान- बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार शहर में गुरूवार को एक आत्मघाती हमला हुआ था। अलजजीरा के मुताबिक, इस हमले में दो लोगों की मौत हो गयी थी और 40 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
चाहबाहर बंदरगाह की महत्वता
चाहबाहर बंदरगाह पाकिस्तान से सटी सीमा के प्रांत बलूचिस्तान से भी लगता है। जो पाकिस्तानी समर्थित सुन्नी अलगाववादियों और सुन्नी मुस्लिम चरमपंथियों का गढ़ है, सीमा पर से ईरान पर नियमित हाल मे कराये जाते हैं।
सनद हो कि भारत और ईरान साझा चाबहार बंदरगाह का निर्माण कर रहे है। चीनी प्रभुत्व को टक्कर देने के लिहाज से भारत के लिए यह बंदरगाह काफी महत्वपूर्ण है।
ईरानी सरकार का गुस्सा
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ के मुताबिक चाहबाहर हमले के पीछे विदेशी समर्थित आतंकियों का हाथ है। उन्होंने कहा कि विदेशी समर्थित आतंकियों ने चाहबाहर के मासूम निर्दोष लोगों की हत्या और उन्हें जख्मी किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों के लिए कड़ी सज़ा जाएगी, बख्शा नहीं जायेगा।
मोहम्मद ज़रीफ़ ने ट्वीट कर कहा कि साल 2010 में हमारे सुरक्षा बलों ने यूएई के मार्ग पर चरमपंथियों को पकड़ा और कब्जे में ले लिया था। उन्होंने कहा कि ईरान इन आतंकियों और इनके आकाओं को न्याय के लिए घसीट कर लेकर आएगा।
क्या हुआ था साल 2010 में ?
साल 2010 में ईरान ने सुन्नी चरमपंथी समूह जेद्दुल्लाह के नेता को कब्जे में लिया, ट्रायल के बाद अब्दोल्मालेक रिगी को फांसी की सजा दी थी। इस चरमपंथी गुट ने सिस्तान-बलूचिस्तान में हिंसक विद्रोह किया था। चरमपंथी समूह के नेता को दुबई से किर्गिस्तान जाने वाली फ्लाइट में ईरानी फाइटर जेट ने पकड़ा था, और जबरन विमान को लैंड करने का आदेश दिया था।
भारत ने की इस आत्मघाती हमले की निंदा
भारत के विदेश मंत्रालय ने ईरानी सरकार, ईरानी आवाम और इस हमले के पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि भारत इस आताम्घाती हमले किकड़ी निंदा करता है।
भारत ने उम्मीद जताई कि इस हमले में जख्मी लोग जल्द ही दुरुस्त हो जाए। उन्होंने कहा कि इस नृशंस हमले के पीछे सभी अपराधियों के खिलाफ जल्द न्याय प्रक्रिया की शुरुआत होनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे आतंकी हमले के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता है।