भारत-ईरान-अफगानिस्तान के मध्य हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह का संचालन शुरू हो गया है लेकिन पाकिस्तान में चीनी मदद से चल रहे ग्वादर बंदरगाह से जारी व्यापार में भारी गिरावट हुई है। पाकिस्तान के विश्लेषक अहमद रशीद ने बताया कि चाहबार के संचालन शुरू होने से ग्वादर को काफी नुकसान हुआ है।
इस्लामाबाद में गुरूवार को आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित रक्षा और विदेश नीति के जानकारों ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में शरीक हुए अहमद रशीद ने कहा कि “ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित चाहबार बंदरगाह का परिचालन शुरू हो चुका है। हालाँकि चीन की सहायता चल रहे ग्वादर बंदरगाह व्यापार को आकर्षित करने में विफल साबित रहा है।
पाकिस्तानी अखबार द इंटरनेशनल न्यूज़ के अनुसार अहमद रशीद ने कहा कि अफगानिस्तान अपना कारोबार चाहबार बंदरगाह के जरिये कर रहा है। इसके कारण पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच होने वाला व्यापार पहले तो 5 अरब डॉलर से कम होकर आधा हुआ और उसके बाद 1.5 अरब डॉलर से भी नीचे पंहुच गया है। जाहिर है कि पाकिस्तान ने एक बड़ा मार्किट खो दिया है।
ओमान सागर में स्थित चाहबार बंदरगाह मध्य एशिया और अफगानिस्तान से सिस्तान बलूचिस्तान को जोड़ने वाला एकमात्र बंदरगाह है। सीपीईसी के तहत ग्वादर बंदरगाह के विकास का कार्य साल 2002 में शुरू हो गया था। यह तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने शुरू किया था। साल 2007 में 24 करोड़ डॉलर की लागत से इसका कार्य संपन्न हो गया था। साल 2013 में पाकिस्तानी सरकार ने इसका विका कार्य सिंगापुर की कंपनी से लेकर चीन को सौंप दिया था।
पाकिस्तान के पूर्व वाणिज्य मंग्त्री हुमायूँ अख्तर खान के मुताबिक पाकिस्तान को अपनी सुधारने के लिए और क्षेत्रीय शान्ति व अर्थव्यस्था को सुधारने के लिए अलग तरीके के विचार की जरुरत है। सीपीईसी की परियोजना के तहत सड़कें, रेलवे और बिजली परियोजनाओं के अलावा कई विकास परियोजनाएं शामिल हैं। चीन ग्वादर बंदरगाह के विस्तार में भी निवेश कर रहा है क्योंकि आर्थिक कॉरिडोर यह रास्ता ग्वादर से शुरू होता है।