खनिज संपन्न मध्य एशियाई देशों से अपने संबंध सुधारने हेतु भारत द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। इसी ओर आगे बढ़ते हुए भारत और उज्बेकिस्तान अब ईरानी बंदरगाह चाबहार के जरिए व्यापार करेंगे। चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत, खनिज संपन्न मध्य एशियाई देशों तक अपनी पहुँच बना सकता हैं।
शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ण सदस्यत्व प्राप्त करने के बाद भारत ने संगठन की शिखर वार्ता बाद पहली बार हिस्सा लिया हैं। बैठक से पूर्व, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शाव्कत मिरजीयोयेव के साथ द्वीपक्षीय मुलाकात की। शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, “शंघाई सहयोग संगठन की 8वी बैठक से पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शाव्कत मिरजीयोयेव के बीच द्वीपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने आशा जताई की, चाबहार बन्दरगाह के पूरा होने से भारत और उज्बेकिस्तान के बीच व्यापार में इजाफा होगा। भारतीय निवेश से उज्बेकिस्तान में इंडस्ट्रियल पार्क एवं इन्वेस्टमेंट जोन बनेंगे, जिसका दोनों देशों को फायदा होगा।”
Wonderful to meet Mr. Shavkat Mirziyoyev, President of Uzbekistan. Ties between our nations have their roots in history. We reviewed the full range of the India-Uzbekistan friendship, especially ways to boost economic and cultural cooperation. pic.twitter.com/JyTeAfxWVP
— Narendra Modi (@narendramodi) June 9, 2018
उज्बेकिस्तान के डिप्टी पीएम आयेंगे भारत
विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, उज्बेकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री जल्द ही भारत का दौरा करेंगे। इस दौरे का उद्देश्य साल की अंत में होने वाले उज़बेक राष्ट्रपति शाव्कत मिरजीयोयेव के भारत यात्रा के लिए जरुरी तयारी करना यह होगा।
Prime Minister @narendramodi met Shavkat Mirziyoyev President of the Republic of #Uzbekistan on the sidelines of #SCOSummit. The two leaders exchanged views on a range of topics to further strengthen our strategic partnership. #IndiainSCO pic.twitter.com/y0kxPADVU0
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) June 9, 2018
भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने मिलकर इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट एंड ट्रेड कॉरिडोर की स्थापना की हैं, इस कॉरिडोर का उद्देश सभी तरफ से अन्य देशों से घिरे हुए अफगानिस्तान को अरब सागर से जोड़ना यह हैं। ईरान उअर भारत द्वारा विकसित किए जा रहा चाबहार बन्दरगाह, पाकिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह से से काफी करीब हैं। इसके चलते चाबहार बन्दरगाह की बहरत के लिए अहमियत और भी बढ़ जाती हैं।
मध्य आशियाई देश और भारत
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत खनिज संपन्न मध्य एशियाई देशों के मह्त्व को भलीभांति समझाता हैं। शंगाही सहयोग संगठन की आधिकारिक शुरुवात से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति से शाव्कत मिरजीयोयेव से द्वीपक्सीय बैठक की, दोनों नेताओं के बीच बैठक रात करीब 10 नाजे ख़त्म हुई। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ हुई बैठक के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ताजीकिस्तान के राष्ट्रपति एमोमाली रहमान से भी द्वीपक्षीय मुलाकात की।
आपको बतादे, भारत का ताजीकिस्तान में एयर फ़ोर्स बेस भी हैं, यह भारतीय सेना का भारत के बाहर एकलौता सैनिकी ठिकाना हैं।
मध्य एशियाई देशों के विषय में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मध्य एशियाई देशों को हम यह सन्देश देना चाहते हैं, की भारत आपके साथ अपने संबंधों को आत्याधिक महत्व देता हैं, और चीन, रूस के साथ संबंध दृड़ करते हुए एससीओ के सदस्य देशों के साथ भी अपने संबंधों को नया आयाम देना चाहता हैं।”
प्रधनमंत्री मोदी ने आज(रविवार) को कजाकस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबयेव और अगले साल एससीओ की मेजबानी कर रहे किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीन्बेकोव के साथ भी द्वीपक्षीय मुलाकात की।
Great meeting with President Emomali Rahmon of Tajikistan. We talked about key sectors of bilateral cooperation. India and Tajikistan are working together in areas such as security, technology and energy. Today’s meeting also focused on ways to further enhance connectivity. pic.twitter.com/WF37tw06Ts
— Narendra Modi (@narendramodi) June 9, 2018