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    ईरान भारत मध्य् एशिया बाजार

    ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को चाबहार बंदरगाह का आधिकारिक उद्घाटन किया। इसके पहले चरण के उद्घाटन के बाद चाबहार पोर्ट का काम तेज गति से पूरा हो जाएगा। चाबहार में शाहिद बेहेशती बंदरगाह का उद्घाटन करके ईरान, अफगानिस्तान व भारत तीनों देश साथ आए है।

    भारत को ये बंदरगाह केवल रणनीतिक रूप से ही नहीं बल्कि व्यापारिक मोर्चे पर भी कामयाबी प्रदान करेगा। रणनीतिक रूप से देखा जाए तो चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चुनौती देने के लिए बनाया जा रहा है।

    कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह लंबे समय में भारतीय उत्पादों के लिए आकर्षक केंद्रीय एशियाई बाजार खोल देगा। चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत केन्द्रीय एशियाई बाजार में अपनी भूमिका का काफी विस्तार कर लेगा।

    भारत द्वारा विकसित चाबहार बंदरगाह भारत व अफगानिस्तान के बीच में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को दरकिनार करके भारत के व्यापार को मजबूती प्रदान करेगा।

    एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ के अनुसार भारत चाबहार बंदरगाह से कजाखिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसै मध्य एशियाई बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत कर सकेगा।

    चीन के मुकाबले कम है भारत का व्यापार

    ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत को मध्य एशिया व्यापार में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए काफी उपयुक्त साबित होगा। मध्य एशिया के साथ भारत का मौजूदा व्यापार लगभग 2 अरब डॉलर का ही होता है। यह चीन के 50 अरब डॉलर के मुकाबले काफी कम है।

    इसलिए चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत की व्यापारिक क्षमता मध्य एशिया तक हो जाएगी। चाबहार बंदरगाह से भारत की व्यापारिक शक्तियों में इजाफा हो जाएगा जिससे पाकिस्तान व चीन को कड़ा झटका लग सकता है।

    अफगानिस्तान की दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का खनन किया जा रहा है, इसलिए चाबहार बंदरगाह भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेगा। अफगानिस्तान में लिथियम (बैटरी में उपयोग किया जाने वाला पदार्थ) का सबसे बड़ा खनिज भंडार है। खनिजों का खनन करने के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह का उपयोग करना पड़ेगा।

    चाबहार को आईएनएसटीसी के साथ जोड़े भारत

    तेहरान से एक आधिकारिक बयान के मुताबिक चाबहार बंदरगाह के पहले चरण को तैयार करने में करीब 1 अरब डॉलर खर्च किए गए है। वर्तमान में इसकी क्षमता 1 लाख टन जहाज की है। इसके अंतिम चरण पूरा होने के बाद यह 82 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।

    चाबहार बंदरगाह के लिए भारतीय नीति निर्माताओं व विशेषज्ञों को चाबहार परियोजना को अपनी बड़ी संपर्क परियोजना अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के साथ एकीकृत करना होगा।

    रूस, ईरान व भारत द्वारा साल 2000 मे शुरू की गई आईएनएसटीसी एक बहु-मोडल परिवहन मार्ग है जो हिंद महासागर और फारसी खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से जोड़कर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक पहुंच रखता है।

    भारत के आर्थिक केंद्र बनने में सहयोगी

    भारत की मौजूदा सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना पर काफी जोर दिया है। भारत की कोशिश है कि आने वाले समय में भारत को आर्थिक केंद्र बनाने पर जोर दिया जाए। इसके लिए भारत ने रूस, ईरान, जापान समेत कई देशों से समझौता भी किया है।

    जाहिर है जल्द ही भारत जापान के साथ मिलकर अफ्रीका और मध्य एशिया के कई देशों में सेवाएं मुहैया कराना शुरू करेगा। ऐसे में भारत को मध्य एशिया में कारोबार जमाने के लिए चाबहार बंदरगाह की काफी जरूरत पड़ेगी। इसी कारण से भारत लगातार ईरान को अपनी ओर खींच रहा है।