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    भारत चीन ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान

    जब से ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने चाबहार बंदरगाह का उद्घाटन किया है तब से ही विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं व अटकलें सामने आ रही है। हर तरफ से इसे भारत की रणनीतिक जीत माना जा रहा है।

    पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चुनौती देने वाला भी चाबहार बंदरगाह को माना जा रहा है। पाकिस्तान तो इसे शुरूआत से ही भारत की साजिश करार दे रहा है। साथ ही इसका विरोध कर रहा है।

    वहीं पाकिस्तान के दोस्त चीन ने चाबहार को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीन के मुताबिक चाबहार बंदरगाह की शुरूआत से क्षेत्रीय शांति में सहायता मिलेगी।

    ईरान के चाबहार बंदरगाह की शुरूआत होने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने सीधे तौर पर तो इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं दी है। हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से चाबहार पर बयान दिया है।

    गेंग शुआंग ने कहा कि मैं चाबहार को लेकर सैद्धांतिक जवाब दूंगा। गेंग के मुताबिक क्षेत्रीय देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास का हम स्वागत करते है। साथ ही पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की आशा करते है। चीन ने चाबहार बंदरगाह से क्षेत्रीय स्थिरता व शांति होने की उम्मीद जताई है।

    पाक के ग्वादर बंदरगाह को टक्कर देगा चाबहार

    गौरतलब है कि चाबहार बंदरगाह से भारत व अफगानिस्तान के बीच में सीधा व्यापार हो सकेगा। साथ ही भारत मध्य एशिया बाजार तक अपनी पहुंच बना लेगा। साथ ही ईरान व रूस से भी भारत को व्यापारिक फायदा होगा।

    ईरान के चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के काउंटर के रूप में माना जा रहा है। जो कि महज 80 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। चीन ने सीपीईसी के तहत ग्वादर बंदरगाह के लिए करीब  50 अरब डॉलर का भारी निवेश कर रहा है।

    वहीं चाबहार बंदरगाह पर भी भारत की तरफ से भारी निवेश किया जा रहा है। इससे चीन व पाकिस्तान के व्यापार को भारत व अन्य देशों की तरफ से भारी चुनौती मिलने की संभावना है।