चट्टान:- फेल्डस्पार एवं क्वार्ट्ज़ पत्थरों में पाए जाने वाले सामान्य रूप से पाए जाने वाले खनिज हैं। चट्टानों के विज्ञान को Petrology कहा जाता है।
चट्टानों के प्रकार (Types of rocks in Hindi)
- आग्नेय पत्थर (Igneous Rocks):- मैग्मा एवं लावा के ठोस हो जाने के बाद इनका निर्माण होता है।
- तलछटी पत्थर (Sedimentary Rocks):- बड़े पत्थरों के छोटे छोटे खण्डों को तलछटी पत्थर कहा जाता है।
- मेटामॉरफिक पत्थर:- पत्थरों का क्रिस्टलीकरण होने के बाद इनका निर्माण होता है।
आग्नेय चट्टान (Igneous rocks in Hindi)
मैग्मा एवं लावा से बनने के कारण इनको प्रमुख पत्थर भी माना गया है। पृथ्वी के गहराई में अगर कोई पिघलता हुआ पदार्थ धीरे धीरे ठंडा हो रहा होता है तो वह जम कर बड़े अाकार के पदार्थ का ले लेता है। पृथ्वी के सतह पर अगर कोई पदार्थ जल्दी जल्दी ठंडा हो जाता है तो वह छोटे आकार के पदार्थों का रूप लेता है, जो आग्नेय पत्थर हैं। ग्रेनाइट, गब्ब्रो, पेग्मटाइट, बेसाल्ट आदि आग्नेय पत्थरों के उदाहरण हैं। बाकि पत्थरों के मुकाबले इनका घनत्व कम होता है एवं यह रंग में हलके होते हैं।
आग्नेय पत्थरों को दो अन्य भागों में विभाजित किया गया है:
- अम्लीय पत्थर: इनके अंदर लगभग 80% सिलिका मौजूद रहता है। यह क्रस्ट के sial भाग में काफी मात्रा में मौजूद रहते हैं । सिलिका की मात्रा अधिक होने के कारण ये जल्दी ठन्डे हो जाते हैं एवं बहते नहीं है।ऊँचे पहाड़ इस प्रकार के पत्थरों से हैं।
- क्षारक पत्थर (Basic Rocks):- इनमे सिलिका की मात्रा 40% एवं मैग्नेशियम की मात्रा 40% रहती है, जिसके कारण ये धीरे धीरे ठन्डे होते हैं एवं पानी में आसानी से बह जाते हैं।बेसाल्ट, गैब्रो, डालराइट आदि हैं।
प्लुटोनिक चट्टान (Plutonic Rocks in Hindi)
ज्वालामुखी विस्फोट या अन्य घटनाओं के दौरान पिघलते हुए पदार्थ या लावा पृथ्वी के सतह तक नहीं पहुँच पाते एवं गहराई में ही धीरे धीरे ठन्डे होते रहते हैं। इसके कारण बहुत बड़े आकार के पत्थरों का निर्माण होता है जो चिकने होते हैं। ग्रेनाइट इसका प्रमुख उदाहरण है। खनन के द्वारा इनको निकाला जाता है।
लावा या ज्वालामुखीय चट्टान (Volcanic Rocks)
ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान जब लावा सतह की तरफ फेंक दिया जाता है तब लावा के सूखने के बाद इन पत्थरों का निर्माण होता है। शीघ्र ठन्डे होने के कारण इन पत्थरों का क्रिस्टलीकरण नहीं हो पाता। बासाल्ट इस प्रकार का पत्थर है।
भारत के प्रायद्वीप भाग में डेक्कन पठार में बसाल्ट पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इन पत्थरों में लोहा, एल्युमीनियम एवं मैंगनीज़ के ऑक्साइड पाए जाते हैं जिससे इनका घनत्व काफी होता है एवं यह गहरे रंग के होते है।
तलछटी चट्टान (Sedimentary rocks in Hindi)
ये मौसम एवं मृदा अपरदन के प्रभाव से बनते हैं। जब इस प्रकार के गाद जमा होते हैं, तब इनका निर्माण होता है।इस प्रक्रिया को शिलियन (lithification) कहा जाता है।इनकी कई परतें होति हैं और यह पृथ्वी के सतह का 75% भाग में आवरित हैं। लाइमस्टोन, हाइलाइट, पोटाश, chalk, सैंडस्टोन आदि इनके उदाहरण हैं।
मेटामॉरफिक चट्टान (Metamorphic Rocks in Hindi)
यह पत्थर दबाव, तापमान एवं आयतन के प्रभाव के चलते अपना आकार बदलते रहने के लिए जाने जाते हैं। जब पिघला हुआ मैग्मा क्रस्ट के पत्थरों के संपर्क में आता है तब मेटामॉरफिक पत्थरों का निर्माण होता है।
क्रिस्टलीकरण होते रहने के कारण इन पत्थरों के कई परत होते हैं। स्लेट, संगमरमर आदि इस प्रकार के पत्थरों के उदहारण हैं।
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