2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिशों में लगे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कल कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में सत्ताधारी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के नेता और पूर्व प्रधानमन्त्री एच डी देवेगौड़ा से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में देवेगौड़ा के साथ उनके पुत्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी शामिल थे।
देवेगौड़ा के आवास पर एक घंटे लम्बी चली इस मुलाक़ात के बाद तीनों नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत भी की। पत्रकारों से बातचीत करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि ‘यह बैठक देश को बचाने लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों के हाथों को मजबूत करने के लिए आयोजित की गई थी। चंद्रबाबू नायडू की राष्ट्रीय राजनीति में वापसी के बाद, मुझे लगता है कि देश में 1996 के इतिहास को फिर से दोहराया जाएगा।’
1996 के इतिहास का जिक्र कर कुमारस्वामी ने उस राजनितिक घटनाक्रम की और इशारा किया जब देश में देवेगौड़ा के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की सरकार बनी थी।
देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संवैधानिक संस्थानों को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को हराने की जिम्मेदारी धर्मनिरपेक्ष दलों पर है और इस जिम्मेदारी का नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू ने किया है।’
गौरतलब है चंद्रबाबू नायडू मोदी विरोधी मोर्चे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), फारूक अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), मायावती (बहुजन समाज पार्टी), ममता बनर्जी (त्रिमूल कांग्रेस) और एमके स्टालिन (द्रविड़ मुनेत्र कझागम) जैसे नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं।
भाजपा नीत एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद हाल के दिनों में नायडू अपना कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ाने के उद्देश्य से दो बार दिल्ली दौरा कर विभिन्न्न पार्टियों के नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा के मुद्दे पर नायडू ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और उसके बाद से ही वो तीसरा मोर्चा बनाने की जुगत में लगे हैं।
अभी हाल ही में कर्नाटक उपचुनाव में कांगेस-जेडीएस गठबंधन को मिले बम्पर जीत के बाद मोदी को हारने के लिए महागठबंधन बनाने की बात फिर से जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेस ने इन उपचुनाव के परिणामों को 2019 का टीजर(झलक) कहा है।