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    राज्य के विभाजन के लगभग पांच साल बाद, गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की नई राजधानी अमरावती में आंध्र प्रदेश के नए सरकारी कार्यालय परिसर की आधारशिला रखी। इस परिसर में सरकारी विभागों  के अलावा राज्य सचिवालय, विधानसभा और उच्च न्यायालय होंगे।

    अमरावती राजधानी क्षेत्र गुंटूर और विजयवाड़ा के महानगरीय क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में बनाया जा रहा है। सरकारी कार्यालय परिसर का निर्माण गुंटूर जिले के रायपुड़ी गांव में किया जाएगा।

    हाई कोर्ट और राज्य विधानसभा सहित मुख्य इमारतों के डिज़ाइन में कई बदलावों के कारण आधारशिला रखने में कई देरी हुई।

    41 एकड़ जमीन पर सचिवालय परिसर का निर्माण किया जाएगा। जिसमे 145 विभागों को समायोजित किया जाएगा। नायडू ने कहा कि इस क्षेत्र में निर्माण जोग वो 56 लाख वर्ग फुट है, जिसमें 1.3 लाख वर्ग फुट पार्किंग की सुविधा है, जिसमें 4,000 कारें आ सकती हैं।

    ब्रिटिश आर्किटेक्चर फर्म फोस्टर एंड पार्टनर्स को अमरावती के लिए मास्टर आर्किटेक्ट के रूप में नियुक्त किया गया है। आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (CRDA) को सरकारी टाउनशिप बनाने का काम सौंपा गया है।

    2017 में, राज्य सरकार ने कहा था कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय बौद्ध स्तूप जैसा होगा, जबकि कोहिनूर हीरे के तर्ज पर विधान सभा का निर्माण किया जाएगा। तदनुसार, ब्रिटिश फर्म ने दो भवनों के डिजाइन प्रस्तुत किए थे, लेकिन विचार बाद में रद्द हो गए।

    नई राजधानी में पांच मुख्य टॉवर होंगे जिसमे सचिवालय और उच्च न्यायालय जैसे महत्वपूर्ण भवन होंगे। पांच टावरों के लिए अंतिम डिजाइन लगभग दो महीने पहले नायडू द्वारा अंतिम रूप दिया गया था। स्थानीय पंडाना कलमकारी डिजाइन को शामिल करने के लिए डिजाइनों को बदल दिया गया, जो कृष्णा जिले के स्थानीय शिल्प का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि आंतरिक डिजाइनों में कलाकृति होगी।

    आंध्र सरकार ने तेलंगाना से राज्य के विभाजन के बाद एक नई राजधानी बनाने की योजना की घोषणा की थी, और 2015 के मध्य से अमरावती में स्थानांतरण करना शुरू कर दिया। लेकिन थोड़े बुनियादी ढांचे के कारण अब तक  वेलगापुड़ी गांव में पांच इमारतों में सचिवालय, विधानसभा और राज्य विभाग एक अस्थायी परिसर से काम कर रहे हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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