सरकार जल्द ही यह आदेश दे सकती है जिसके तहत व्यावसायिक और रिहायशी बिल्डिंग के साथ ही पार्किंग लॉट में भी इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइंट का निर्माण करवाना अनिवार्य हो सकता है।
सरकार का उद्देश्य निकट भविष्य में देश में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर एक सार्थक माहौल तैयार करना है। इसके तहत सरकार व्यावसायिक, रिहायशी इमारतों के साथ ही स्कूल और अस्पतालों में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग पॉइंट की स्थापना करने का मन बनाया है।
सरकार के अनुसार देश में वर्ष 2030 तक कुल वाहनों की संख्या का एक तिहाई वाहन इलेक्ट्रिक ही होंगे। फिलहाल सरकार इस लक्ष्य को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध नज़र आ रही है।
देश ने पिछले कुछ सालों में कई तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों को देखा है। जिनमे इलेक्ट्रिक स्कूटर प्रमुख थे, लेकिन समय के साथ देश में वह सफल नहीं हो पाये। इसका मुख्य कारण स्कूटरों को पर्याप्त संख्या में चार्जिंग पॉइंट न मिलना व देश की खस्ताहाल सड़कें थी।
हालाँकि अब लोगों का मूड फिर से बदल रहा है, ऐसे में मुमकिन है कि सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक कारों को भारत में बड़ी संख्या के साथ शुरू करने की योजना पर काम करना शुरू कर दे।
इलेक्ट्रिक कारों के लिए इतनी बड़ी मात्र में चार्जिंग पॉइंट की स्थापना करने के साथ ही देश को फिर 20.7 टेट्रावाट अतिरिक्त बिजली की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए देश पर 7 हज़ार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।