नई दिल्ली, 6 मई (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन (रूई) में आई गिरावट के कारण सोमवार को भारतीय रूई बाजार में मंदी का माहौल बना रहा। घरेलू वायदा बाजार में रूई के वायदा सौदों में 400 रुपये प्रति गांठ (170 किलोग्राम) से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, देशभर की मंडियों में रूई के हाजिर भाव में भी नरमी रही।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कॉटन का मई अनुबंध 410 रुपये यानी 1.84 फीसदी की गिरावट के साथ 21,890 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ। इससे पहले मई अनुबंध का भाव 21,840 रुपये प्रति गांठ तक फिसला।
वहीं, जून वायदा अनुबंध 22,060 रुपये से रिकवरी के बाद 430 रुपये यानी 1.91 फीसदी लुढ़ककर 22,100 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ।
अंतराष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर कॉटन का जुलाई डिलीवरी अनुबंध पिछले सत्र से 3.13 फीसदी की गिरावट के साथ 73.31 सेंट प्रति पौंड पर कारोबार कर रहा था।
देश के सबसे बड़े कॉटन उत्पादक राज्य गुजरात में बेंचमार्क कॉटन गुजरात शंकर-6 (29 एमएम) का भाव सोमवार को 150 रुपये की गिरावट के साथ 45,800-46,200 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) रहा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से अमेरिका में आयात होने वाली 200 अरब डॉलर की वस्तुओं पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किए जाने की चेतावनी के बाद अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर कॉटन के दाम में भारी गिरावट आई क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद चीन की प्रतिक्रिया की आशंका बढ़ गई। दरअसल, अमेरिका कॉटन का प्रमुख निर्यात देश है जबकि चीन प्रमुख आयातक।
कॉटन बाजार विश्लेषक मुंबई के गिरीश काबरा ने बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा रूई उत्पादक देश है, लेकिन भारत का कॉटन बाजार अमेरिकी बाजार के अनुसार चलता है। अमेरिका में कॉटन में तेजी से भारतीय वायदा बाजार में तेजी रहती और और अमेरिकी बाजार में मंदी से भारतीय बाजार में मंदी रहती है।
हालांकि उन्होंने कहा कि अमेरिका से अगर चीन कॉटन का आयात कम करेगा तो भारत, आस्ट्रेलिया व अन्य देशों से ज्यादा करेगा, इससे भारतीय कॉटन बाजार को सपोर्ट मिलेगा। मगर, वायदा बाजार पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय बाजार की ही गिरफ्त में रहता है।