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    विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम) हर साल वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट (ग्‍लोबल जेंडर गैप इंडेक्‍स रिपोर्ट) जारी करता है। इस रिपोर्ट में देशों का मूल्यांकन चार मानकों के आधार पर किया जाता है: आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा का अवसर, स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता एवं राजनीतिक सशक्तीकरण। इंडेक्स में 1 उच्चतम स्कोर होता है जो समानता की स्थिति तथा 0 निम्नतम स्कोर होता है जो असमानता की स्थिति को दर्शाता है।

    इस साल की रिपोर्ट में भारत अपने पिछली रिपोर्ट से 28 पायदान नीचे गिर गया है। कुल 156 देशों की सूची में भारत का स्थान 140वां है। गौरतलब है कि 2020 की रिपोर्ट में भारत का स्थान 112वां था। रिपोर्ट के अनुसार आइसलैंड और फ़िनलैंड क्रमशः पहले और दुसरे सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश हैं।वहीं यमन और अफ़ग़ानिस्तान क्रमशः 155वें और 156वें स्थान पर हैं।

    वैश्विक परिदृश्य 

    विश्व स्तर पर सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन स्कैंडिनेवियाई देशों ने किया। आइसलैंड कुल 1 में से 0.892 के अंक के साथ प्रथम स्थान पर रहा । वहीं दक्षिण एशिया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में से एक है, जिसके बाद मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका का स्थान है। आर्थिक भागीदारी के मामले में सर्वाधिक लैंगिक अंतराल वाले देशों में ईरान, भारत, पाकिस्तान, सीरिया, यमन, इराक और अफगानिस्तान शामिल हैं। भारत के पड़ोसी देशों में सबसे बेहतर प्रदर्शन बांग्लादेश का रहा जो 65वें स्थान पर है। बांग्लादेश एकमात्र ऐसा देश है जहांँ पिछले 50 वर्षों में पुरुषों की तुलना में ऐसी महिलाओं की संख्या अधिक है जो राज्य के प्रमुख पदों पर नियुक्त हुईं।

    भारत का प्रदर्शन

    दक्षिण एशियाई देशों में भारत का प्रदर्शन काफ़ी खराब रहा है, भारत रैंकिंग में 156 देशों में 140वें स्थान पर है। दक्षिण एशिया के देशों में बांग्लादेश 65वें, नेपाल 106वें, पाकिस्तान 153वें, अफगानिस्तान 156वें, भूटान 130वें और श्रीलंका 116वें स्थान पर है। भारत को कुल एक में से 0.625 अंक मिले। इसका अर्थ यह है कि भारत में लैंगिक समानता 62.5% है।
    2006 से 2016 के दशक में भारत का सूचकांक लगातार बढ़ता रहा। 2006 में जहाँ भारत का सूचकांक 0.600 था वहीं 2016 तक यह बढ़कर 0.683 हो गया। हालाँकि 2016 से भारत का सूचकांक लगातार गिरता रहा है और अब 2021 की रिपोर्ट में यह 0.625 पर पहुँच गया है।
    भारत के राजनीतिक सशक्तीकरण सूचकांक में 13.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांँकि अन्य देशों की तुलना में भारत द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया है और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में यह 51वें स्थान पर है।शिक्षा प्राप्ति सूचकांक में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस वर्ष आर्थिक भागीदारी में अंतर 3% बढ़ा है और अब भारत 151वें स्थान पर है। भारत द्वारा स्वास्थ्य और उत्तरजीविता सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन किया गया तथा भारत रैंकिंग में 155वें स्थान पर रहा है। गौरतलब है की चीन इस सूचकांक में सबसे पीछे है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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