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अमेरिका बोन जलवायु वार्ता

जर्मनी के बोन में चल रही अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में अमेरिका के शीर्ष प्रतिनिधि ने कहा है कि अमेरिका ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से लड़ रहा है। अमेरिका ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयासरत व प्रतिबद्ध है। लेकिन ट्रम्प प्रशासन अभी भी ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने पर पेरिस समझौते में शामिल होने से इंकार कर रहा है।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका पेरिस समझौते में शामिल नहीं होगा। वहीं अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रतिनिधि जूडिथ गार्बर ने अमेरिका के पेरिस समझौते में शामिल होने के बारे में तो कुछ नहीं कहा है हालांकि ये जरूर कहा कि अमेरिका ग्रीनहाउस गैसों व जलवायु की सुरक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगा।

इसके अलावा गार्बर ने कहा कि अमेरिका में ऊर्जा दक्षता पर नवाचार बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इस बैठक में अमेरिका का रूख अधिक सौहार्दपूर्ण दिखाई दिया लेकिन पेरिस समझौते पर अभी भी स्थिति संदेहपूर्ण बनी हुई है।

कोयला के उपयोग का किया विरोध

इससे पहले अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल द्वारा आयोजित एक पैनल में चर्चा की गई थी। इसमें इस विचार को बढ़ावा दिया गया था कि कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन को स्वच्छ बनाया जा सकता है। इस पर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने काफी विरोध किया था। अन्य देशों का मानना है कि कोयला कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है।

पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म करने व ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी के लिए कोयला ही जिम्मेदार है। इंडोनेशिया, वियतनाम और अमेरिका आने वाले वर्षों में कोयले के उपयोग का विस्तार करने की योजना बना रहे है।

हालांकि जलवायु की बैठक के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधि गार्बर ने कोयले का जिक्र नहीं किया। गार्बर ने कहा कि अमेरिका पर्यावरण संरक्षण के लिए हमेशा प्रयासरत रहेगा।

इसी बीच अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में एक नए गठबंधन की घोषणा हुई। इसमें कई देशों ने जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए कोयले के उपयोग को समाप्त करने पर सहमति दी है। इसमें फिनलैंड, फ्रांस, इटली, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कई अमेरिकी राज्यों और कनाडा प्रांत भी शामिल है।