महाराष्ट्र की 28 वर्षीय महिला रोहिणी संदीप शिर्के ने साल 2014 में मधुमक्खी पालन का एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया था, आज की तारीख में इस छोटे व्यवसाय से बहुत अच्छी कमाई हो रही है। इसके लिए शिर्के ने ‘इंटरनेट साथी’ को धन्यवाद दिया है। रोहिणी संदीप शिर्के ने ‘इंटरनेट साथी’ के जरिए ना केवल इंटरनेट इस्तेमाल करने का तरीका सीखा, बल्कि अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के अलावा एक ईमेल और व्हाट्सएप आईडी भी बनाई है।
यहीं नहीं शिर्कें अपने व्यवसाय के लिए ऑनलाइन ऑर्डर भी स्वीकार करती हैं। शिर्कें के अुनसार, मैं मुधमक्खी पालन तथा शहद संग्रह के बढ़िया तरीकों को जानने के लिए ‘इंटरनेट साथी’ की मदद ले रही हूं। 28 वर्षीय महिला रोहिणी संदीप शिर्के की तरह कई अन्य महिलाएं अपने व्यवसाय और आजीविका के लिए इंटरनेट से जानकारियां हासिल करती हैं। यही नहीं यह महिलाएं अपने अन्य महिला साथियों को ‘इंटरनेट साथी’ के बारे में जानकारियां प्रदान कर रही हैं।
आप को जानकारी के लिए बता दें कि गूगल इंडिया ने टाटा ट्रस्ट के साथ एक निश्चित साझेदारी की है। जिसके तहत गूगल ‘इंटरनेट साथी’ के जरिए ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार शुरू करने में मदद कर रहा हैं। इसकी मदद से महिलाओं के बीच डिजिटल साक्षरता में सुधार किया जा रहा है। गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट्स द्वारा स्थापित फाउंडेशन फॉर रूरल एंटरप्रेनरशिप डेवलपमेंट (फ्रेण्ड) ने महिलाओं के लिए रोजगार सृजन की आवश्यकता को देखते हुए इस कार्यक्रम के विस्तार करने की घोषणा की है।
इंटरनेट से जुड़ी ग्रामीण महिलाएं
गूगल की मार्केटिंग हेड सपना चढडा के अनुसार, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट इस्तेमाल करने को लेकर महिला—पुरूष के बीच एक बड़ी खाई अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर 10 इंटरनेट यूजर्स में से केवल एक महिला थी, तब ऐसा महसूस हुआ कि हमें महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में कुछ करने की जरूरत है।
दो साल बाद इस संख्या में कुछ सुधार देखने को मिला है, ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले महिलाओं की संख्या कुल 10 पुरूषों में तीन हो गई। ‘इंटरनेट साथी’ को जुलाई 2015 में शुरू किया गया, अब तक इस कार्यक्रम के जरिए अब तक करीब 30,000 इंटरनेट साथियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिसके चलते देश में करीब 1.2 करोड़ महिलाओं की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।
टाटा ट्रस्ट के रमन कल्याण कृष्णन का कहना है कि, घर के कुछ सदस्यों के पास स्मार्टफोन होने के बावजूद भी कई ‘इंटरनेट साथियों’ को स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी गई। एक अन्य उदाहरण के रूप में महाराष्ट्र की 31 वर्षीय आसिया गवंडी अपने पति के साथ एक किराने की दुकान चलाती हैं और ऑनलाइन शॉपिंग फीचर का इस्तेमाल कर अपने स्टोर को अपग्रेड करती हैं।
गांव की अन्य महिलाओं की सहायता से आसिया ने अब स्टाल शुरू किया है, जिसमें हस्तनिर्मित सामान, फूड्स तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधन की बिक्री की जाती है। आसिया कहती हैं कि गांव में लोग अब महिलाओं को सम्मान की नजर से देखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वे अब तक 900 महिलाओं को इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीखा चुकी हैं।
‘इंटरनेट साथी’ बनने के लिए जरूरी मानदंड
‘इंटरनेट साथी’ बनने के लिए किसी भी महिला का कक्षा दस पास होना जरूरी है। यहीं नहीं महिला को अंग्रेजी वर्णमाला की जानकारी होनी चाहिए। इंटरनेट साथियों को दो महीने की इंटर्नशिप दी जाती है, जिसमें उन्हें इंटरनेट के इस्तेमाल करने की जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण के दौरान इन महिलाओं को एक स्मार्टफोन और टैबलेट प्रदान किया जाता है।
ताकि प्रशिक्षण के बाद ये महिलाएं अपने गांव की अन्य महिलाओं को इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीखा सकें। बतौर उदाहरण गुजरात की रेखाना गोहिल अपने गांव की अब तक 700 महिलाओं को इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीखा चुकी हैं। ऐसे में यह आशा है कि इन्टरनेट की मदद से महिलाओं के लिए नए रोजगार शुरू किया जा सकेंगे।