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    मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

    भारत के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की पहुंच नहीं हो पाई है। इन क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपल आईआईटी के शिक्षित छात्र अब बागडोर संभालेंगे।

    मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 53 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पीएचडी और एम.टेक डिग्री छात्र अध्यापन कार्य करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में उन कॉलेजों में तकनीकी शिक्षा को बढावा दिया जाएगा तो अभी पिछड़े हुए है।

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु, और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों से पीएचडी और एम.टेक डिग्री करे हुए 1200 से अधिक युवा ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाएंगे। मंत्री ने बताया कि शिक्षकों को पहले ही महाविद्यालयों में शामिल किया जा चुका है।

    शिक्षक तीन साल के अनुबंध पर होंगे और एक महीने में उन्हें 70,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा। बाद में अध्यापन कार्य करने वाले युवा अकादमिक क्षेत्रों या कॉर्पोरेट जगत में अपनी इच्छानुसार इसे चुन सकते है।

    1 लाख ग्रामीण छात्रों को मिलेगा फायदा

    इस पहल के लिए 370 करोड़ रुपये का खर्चा केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा 11 राज्यों में स्थित पिछड़े जिलों में रिक्त पदों को भरा जाएगा। इंजीनियरिंग छात्रों को शिक्षकों की कमी का समस्या करना पड़ रहा है।

    मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के पद के लिए करीब 5000 लोगों ने आवेदन किया था उनमें से 1225 आवेदकों का चयन किया जा चुका है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 1 लाख छात्रों को फायदा मिलेगा।

    1200 से अधिक उम्मीदवारों में से लगभग 300 पीएचडी डिग्री धारक व 900 एम.टेक डिग्री धारक है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा, असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा और अंडमान और निकोबार द्वीप जैसे राज्यों में इन्हें नियुक्त किया जाएगा।