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    गौरव चोपड़ा: टीवी पर संस्कृति की गलत व्याख्या है, रीती-रिवाज़ और वास्तविकता में फर्क नहीं करते

    गौरव चोपड़ा दो साल के अंतराल के बाद शो “एक शक्ति…एक अघोरी” के साथ छोटे परदे पर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने शो का तभी हां कहा जब उन्हें संतुष्टि हुई कि ये डायन और पिशाचिनी के साथ कोई अन्य सुपरनैचरल ड्रामा नहीं होगा।

    उनके मुताबिक, “जब शो का मुझे प्रस्ताव मिला तो मेरे मन में कई सवाल थे। अघोरी को लेकर एक निश्चित धारणा है और मुझे नहीं पता था कि उन्हें शो में कैसे दिखाया जाएगा। दूसरा कारण ये था कि मैं किसी चीज़ का समर्थन नहीं करना चाहता था जो मुझे या तो प्रतिगामी या किसी चीज़ की गलत व्याख्या लगती है।”

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    लेकिन वह शो के लिए हुई रिसर्च से आश्चर्यचकित हो गए। 
    उत्तरन अभिनेता ने कहा कि मेकर्स बहुत कम शो के विषय पर रिसर्च करते हैं। उन्होंने बताया-“टीवी शो के लिए, ज्यातादर रिसर्च ये पता करने के लिए की जाती है कि यह देश के अलग अलग हिस्सों में कितना अच्छा चलेगा, शो के विषय पर ना के बराबर रिसर्च होती है। इसलिए शो के लिए की गयी रिसर्च से और अघोरी के बारे में जो विवरण मुझसे साझा किया गया, उससे मुझे सुखद आश्चर्य हुआ।”
    “जब हम अघोरी की बात करते हैं तो हमारे मन में उनकी राख में लिपटे हुए, बड़ी बड़ी जटाओं के साथ शमशान घाट पर बैठे हुए साधुओं का रूढ़िवादी प्रतिनिधित्व है। मेरे दिमाग में, नागा साधू और अघोरी ने बारे के बीच कोई अंतर नहीं था, लेकिन शो साइन करने के बाद ही मुझे पता चला है कि दोनों एकदम अलग हैं। ये शो मुझे कुम्भ मेला के बाद मिला था, वर्ना मैं केवल अघोरी से मिलने और उनके बारे में ज्यादा जानने के लिए मेला जाता।”
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    टीवी पर संस्कृति की गलत व्याख्या है 

    पिछले कुछ सालो में गौरव ने कई टीवी शो और यहाँ तक कि फिल्मो के प्रस्ताव को ठुकराया है लेकिन उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है। उनके मुताबिक, “जब बात टीवी शो की आती है तो मैंने हमेशा उन चीजों को उठाने की कोशिश की है जो मैं खुद देख पाऊ और इसी कारण मैं बहुत कम शो को हां कह पाता हूँ।”

    “मैं प्रतिगामी पारिवारिक ड्रामा का समर्थन नहीं करना चाहूँगा, मैं उन चीजों का समर्थन नहीं करना चाहूँगा जो हमारी संस्कृति को टाइपकास्ट करते हो। टीवी पर संस्कृति की गलत व्याख्या है। संस्कृति और कस्टम में फर्क नहीं करते हैं। रीती-रिवाज़ और वास्तविकता में फर्क नहीं करते और रीती-रिवाज़ को सच्चाई बनाके प्रचार करते हैं। इसकी मैं मंजूरी नहीं देता हूँ। केवल मैं नहीं, कई लोग इसकी शिकायत करते हैं, दर्शक भी। मैं लोगो को कहता हूँ कि अगर उन्हें शो पसंद नहीं है तो मत देखे। उसे मशहूर ना बनाये।”

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    अभिनेता जिन्होंने हॉलीवुड फिल्म ‘ब्लड डायमंड’ और बॉलीवुड फिल्म ‘रंगदारी’ में काम किया है और ‘एवेंजर’ सीरीज के हिंदी संस्करण में थोर की आवाज़ बने हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें कई फिल्मो के भी प्रस्ताव मिले हैं। लेकिन उनका मानना है-“मैं केवल नाम के लिए फिल्में नहीं करना चाहता।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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