गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। बुद्ध ने अपने जीवन में कई उपदेश दिए, जिनमें मुख्य रूप से अहिंसा आदि शामिल थे।
विषय-सूचि
गौतम बुद्ध की बुनायादी शिक्षा
महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म के बारे मे जितनी भी जानकारी है वह सब ’पिटाका’ मे मौजूद है। बौद्ध धर्म के मूल उपदेशो का प्रचार भी पिटाका से किया जाता है।
पिटाका तीन भागो मे विभाजित है।
– सुता पिटाका
– विनय पिटाका
– अभिदम पिटाका
सुता पिटाका
सुता पिटाका मे कुल 5 समूह/ निकेया है। यह किताब बौद्ध धर्म की पवित्र किताब मानी जाती है।
बौद्ध धर्म का पालन करने वाले शिष्यो ने इस किताब को पेश किया था। इसी कारण की वजह से बौद्ध धर्म की बुनयादी शिक्षा के लिए हम पूरी तरह पिटाका पर निर्भर नही रहते है।
चार बुनयादी सच – चतुर आर्य सत्यानी
मोक्ष और शांति की प्राप्ति के लिए गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायीयो को यह बताया कि उन्हे जीवन के चार सत्यो को समझना होगा। गौतम बुद्ध ने अपने भक्तो को सच्चाई का पालन करने और खुश रहने के लिए भी कुछ मूल मंत्र बताए। इन मूल मंत्रो को चतुर आर्य सत्यानी के नाम से पुकारा गया।
1 – दुख और पीड़ा का कारण है इच्छाएं, अगर मनुष्य इच्छाओ पर काबू कर ले तो जीवन मे उसे किसी पीडा का सामना नही करना पडेगा। धरती पर जीवन गुजारने के लिए और अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए मनुष्य को कष्ट भोगना पड़ता है।
2 – इच्छाएं, इंद्रिया, लगााव और लालच इन कुछ कारणो के कारण ही मनुष्य को पीड़ा होती है। मनुष्य के दुख भोगने का कारण भी उसकी इंद्रिया है।
3 – अगर मनुष्य अपनी इच्छाओ पर नियंत्रण पा सके तो उसके जीवन के सारे दुख खत्म हो जाएंगे। इंद्रियो का विनाश करने से दुखो का विनाश होता है साथ ही पीड़ा के कारण भी समाप्त होते है।
4 – जीवन के दुख और पीड़ा खत्म करने के लिए बहुत से उपयोगी तरीके है।
अस्तांगिका मार्ग – आठ उपदेश
महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेशो मे साफ साफ भक्तो को यह बताया है कि मनुष्य की पीड़ा का क्या कारण है। भगवान बुद्ध ने दुखो को और पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए 8 महत्वपूर्ण बिंदु बताए है जो है:-
– सही मनुष्य पर विश्वास
– सही तरीके से कार्य करना
– सही शब्दो का प्रयोग कर भाषण देना यह बात करना
– सही विचारो का मतिष्क मे आना
– सही तरीके से जीवन जीना
– ईमानदारी से काम कर रोजी रोटी कमाना
– सही चीजो को याद रखना
– सही बातो पर ध्यान लगाकर उन्हे याद रखना
इन आठ बिंदुो को मध्य पथ के नाम से भी जाना जाता है और इनका पालन किया जाता है।
बुद्ध की परिकल्पना के अनुसार, वो ब्रहामणो द्वारा खुशी का जीवन जीने का विराध करते थे। वही जैनियों द्वारा अपनाए गए कठोर जीवन जीने का भी उन्होने परीत्याग किया। बुद्ध के अनुसार जैनी कठोर तपस्या करते थे और आत्म-अनुशासन का पालन करते थे। दोनो पक्षो के बीच का रास्ता अपनाते हुए बुद्ध ने यह आठ अहम बिंदु दिए। इसी कारणवश इससे मध्यम पथ कहते है।
अहिंसा धर्म
बुद्ध के अनुसार अहिंसा धर्म सर्वोपरी था। महावरी और अन्य महान संतो की तरह गौतम ने भी अहिंसा पर जोर दिया। राजकुमार गौतम के अनुसार धरती पर रहने वाले हर प्राणी को सामान रूप से जीवन जीने का अधिकार है। मनुष्य और जानवर दोनो को प्रेम सहित साथ मे रहना चाहिए। दोनो पृथ्वी के दो भाग है, एक दूसरे के बिना उनका जीवन संभव नही है।
बुद्ध ने भगवान की उपस्थिति के विषय मे अपने विचार मौन रखे, क्योकि अपनी शिक्षा और उसूलो को लेकर उनपर बहुत विवाद और चर्चाए थी। गौतम बुद्ध का मानना था कि जीवन मे मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान के डर से कर्म करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
इंसान को मोक्ष और मन की शांति के लिए सुकर्म करने चाहिए नाकि यज्ञ और अनुष्ठानो। महात्मा बुद्ध के विचारो के खिलाफ कई विरोध हुए।
जाति प्रक्रिया मे बदलाव की शुरूआत
गौतम बुद्ध का मानना था कि किसी व्यक्ति की इज्जत उसके काम से होनी चाहिए। अपने जीवन के शुरूआती सफर मे बुद्ध ने यह महसूस किया कि हमारे समाज मे जाति के नाम पर बहुत भेदभाव है।
महात्मा बुद्ध के अनुसार हिंदु समाज की एकता के लिए जाातिवाद बेहद हानिकारक था। गौतम के अनुसार जन्म से नही कर्म से जाति को जुडना चाहिए।
अपने उपदेशो मे गौतम बुद्ध ने जातिवाद के खिलाफ भी कई उपदेश दिए।
मोक्ष की प्राप्ति
गौतम बुद्ध के अनुसार हर किसी को मोक्ष की प्राप्ति के लिए कार्य करना चाहिए। गौतम बुद्ध के अनुुसार मनुष्य का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए जीवन और मृत्यु के इस चक्र से मुक्ति पाना।
मुक्ति पाने से कभी मनुष्य को जीवन चक्र मे नही आना पड़ता व उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। हर जाति और हर मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति की जरूरत है क्योकि यह अनंत सुखदायी है।
कर्म का पुर्नजन्म
राजकुमार गौतम बुद्ध के उपदेशो के अनुसार हमारे द्वारा किए हुए कर्माे के कारण हमारे जीवन पर असर पड़ता है। भूतकाल मे की हुई क्रियो का फल हम आज भोग रहे है, आज किए हुए कामो का फल हम भविष्य मे भोगेंगे।
यह कर्म और जीवन का चक्र है हमेशा यह चक्र इसी प्रकार घूमता है। किसी भी व्यक्ति को उसके द्वारा किए हुए कर्मो का फल हमेशा मिलता है।
कर्म के फल या परिणाम से आजतक कोई ना भाग पाया है और ना ही कभी आगे भाग पाएगा।
बौद्ध उपदेशो की आचार संहिता
राजकुमार बुद्ध ने जीवन व्यतीत करने के उपदेशो पर बेहद जोर दिया। बुद्ध के अनुसार हमे हमेशा अपने जीवन मे ईमानदारी से काम करना चाहिए।
हर व्यक्ति को अपने विचारो, शब्दो और कार्यो के बारे मे अवगता रहना चाहिये सोच समझ कर ही किसी निर्णय का पालन करना चाहिए।
गौतम बुद्ध द्वारा बताए गए कुछ अनमोल वचन:-
1) दूसरो की संपत्ति का लालच मत करो
2) झूठ का त्याग करो
३) किसी जीव की हत्या मत करो
4) नशे के सेवन न करे
5) गायन और नाच मे भाग न लें
6) फूलो और सुगांधित वस्तुो के उपयोग से बचे
7) धन की बचत करे
इन्ही कुछ वचनो का पालन कर बौद्ध धर्म के छात्रो ने जीवन को सजग ढंग से व्यापित किया।
बौद्ध धर्म नया धर्म नही है
बौद्ध धर्म कोई धर्म नही है परंतु ये कुछ उपदेश है जिनका पालन बौद्ध धर्म को मानने वाले करते है। राजकुमार गौतम ने किसी भी प्रकार का धर्म नही समझाया अपितु कुछ ऐसे वचन बताए जिनसे जीवन सरलता से जिया जा सके।
गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित यह धर्म बस निदर्शो पर आधारित है। सभी धर्मो के सिद्धांतो को इस धर्म मे संक्षेप मे बताया गया है। मोक्ष की प्राप्ति और पीड़ा से दूर रहने के लिए इस धर्म मे उपदेश दिए गए है।
बौद्ध धर्म, धर्म नही है यह जीवन के सिद्धांतो और नैतिक शिक्षा का अतुल्य पाठ है।
हिंदु धर्म के खिलाफ
बौद्ध धर्म को शुरूआत से ही हिंदू धर्म के खिलाफ माना गया। शुरू से ही यह समझा जाता रहा है कि बौद्ध धर्म संस्कारो और रीति रिवाजो के खिलाफ है। इसे हिंदू धर्म का विरोधी माना जाता रहा है।
महायना धर्म विद्यालय
धर्म की शिक्षा को बढ़ाने के लिए महायना विद्यालय का गठन किया गया था। माया से दूर रहने के उपदेश भी विद्यालय मे दिए गए। विद्यालय मे बौद्ध धर्म से जुड़े त्थयो का अध्यन कराया जाता था।
मोक्ष और अपने लक्ष्य को पाने के लिए माया का रास्ता छोड़ना होता है। सांसारिक दुखो से मुक्ति पाने के लिए माया त्यागनी होगी और सत्य का पालन करना होगा।
बौद्ध धर्म के कुछ अनमोल उपदेश
राजकुमार गौतम वेदो और हवन की प्रक्रिया को स्वीकार नही करते थे। उनका मानना था कि कर्म सबसे बड़ी चीज है और यही हमे मोक्ष और मुक्ति के द्वार तक लेके जाता है।
महात्मा बुद्ध ने भगवान के अस्तित्व पर कोई टिप्पणी नही की और बौद्ध धर्म के अनुयायीयो को देवी देवताओ की पूजा करने से इनकार किया। गौतम बुद्ध के अनुसार इंसान अपनी नियति का निर्माता स्वयं है। गौतम रीति रिवजो के खिलाफ थे।
धर्मानंद कोसंबी ने बुद्ध द्वारा दिए गए नियमो को समाज से जोड़ा। बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेशो को धर्मानंद ने कुछ इस प्रकार समझाया :-
– सही बोलने से उनका तात्पर्य था कि झूठ से अपने आप को और समाज से बचाए। झूठ बोलने से हमे परेहज करना चाहिए।
– सही आजीविका से उनका मतलब था कि समाज मे रहते हुए हमे कुछ बुरे काम नही करने चाहिए। सही आजीविका मे चोरी न करना और माया को त्यागना आदि लिखा है।
– सही संकल्प का मतलब है किसी प्राणी और जीव को हानि न पहुचाना। बुद्ध ने जातिवाद को अस्वीकार किया था और कर्म के आधार पर जाति के विभाजन का आग्रह किया था।
महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेशो का प्रचार क्षेत्रीय भाषा मे किया न कि संस्कृति में, जिसके कारण लोगो को बात समझ आ सके और वे उसका पालन कर सके।
बौद्ध धर्म की शिक्षा मे मोक्ष, मुक्ति और जीने के तरीके का वर्णन है। जीवन को किस तरह से व्यापित किया जाए यह बाते बौद्ध द्वारा उनके उपदेशो मे बताया गया है।
Bahut accha article hai.
thanks! bahut achha laga padh ke
Bahut ache vichar