कांग्रेस की गोवा इकाई ने गुरुवार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 की आलोचना करते हुए कहा कि यह कानून गोवा के उन हजारों निवासियों के लिए संकट बन सकता है, जिनके पास एक विशेष कानून के तहत पुर्तगाल का पासपोर्ट है। कांग्रेस प्रवक्ता ट्रजानो डीमेलो ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल ईसाई विधायकों और भाजपा नीत गठबंधन सरकार का समर्थन करने वालों को नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
ट्रजानो ने कहा, “कैबिनेट में शामिल पंचायत मंत्री मौविन गोडिन्हो, बंदरगाह मंत्री माइकल लोबो और राजस्व मंत्री जेनिफर मोनसेरेटे को इस विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जो एक ऐसा कानून है, जिसका उद्देश्य देश को धार्मिक आधार पर विभाजित करना है। उनकी चुप्पी विधेयक के लिए उनकी स्वीकृति के तौर पर मानी जाएगी।”
गोवा 450 से अधिक वर्षों तक एक पुर्तगाली उपनिवेश था, जिसे 1961 में पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता मिली थी।
पलायन करने वाले पुर्तगालियों को गोवा मूल की पुर्तगाली नागरिकता की पेशकश की गई। पुर्तगाली नागरिकता हासिल करने की यह सुविधा बाद में उन सभी गोवावासियों को प्रदान की गई, जो पुर्तगाल शासित गोवा में रह चुके थे। इसके साथ ही उनकी आगामी तीन पीढ़ियों को भी यह सुविधा प्रदान की गई।
यूरोपीय संघ के तत्वावधान में देशों में आसान पहुंच सुलभ होने के कारण हजारों की संख्या में गोवावासियों ने पुर्तगाल पलायन करने और उसके बाद ब्रिटेन जाने के अवसर का लाभ उठाया।
एक अनुमान है कि करीब 30 हजार गोवा निवासी, जिनमें से अधिकांश ईसाई हैं, ब्रिटेन में रह रहे हैं।
ट्राजनो ने कहा, “गोवा के लोग जो आजीविका के लिए पुर्तगाल चले गए हैं, उनका भविष्य अब सवालों के घेरे में है।”
उन्होंने कहा कि यह विधेयक गोवा से उनके संबंधों को समाप्त कर देगा।
बुधवार को संसद में सीएबी पारित होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ऐतिहासिक विधेयक पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की प्रशंसा की थी।