गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिक्कर के बिमारी की खबरों के बीच सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने ‘प्रशासन बीमार है’ का नारा लगाते हुए उनके निजी निवास तक जुलुस निकाला और राज्य के लिए एक पूर्णकालिक मुख्यमंत्री की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने ‘शासन की बहाली के लिए लोगों का मार्च’ के बैनर के तहत एक साथ आकर कहा कि पार्रिकर की अनुपस्थिति के कारण गोवा में शासन व्यवस्था मुश्किल में है। इसके अलावा, उन्होंने मुख्यमंत्री को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया।
कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा शुरू किए गए विरोध मार्च का समर्थन किया। उनकी मुख्य मांग थी कि पर्रिकर अस्वस्थ हैं और लम्बे समय से अपना इलाज करा रहे हैं इसलिए उनको इस्तीफ़ा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब पर्रिकर बीमार थे और नौ महीने से अस्पताल में भर्ती हुए थे तब से राज्य की शासन व्यस्था ठप है। उप कलेक्टर शशांक त्रिपाठी ने बताया कि पर्रिकर ने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण प्रदर्शनकारियों से मिलने से इनकार कर दिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री आवास से 100 मीटर दूर ही रोक दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता और मार्च के नेता एरेस रॉड्रिग्स ने कहा कि ‘हमें पूर्णकालिक मुख्यमंत्री की जरूरत है। पिछले नौ महीनों से राज्य की शासन व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात नहीं कर रहे हैं।’
रॉड्रिग्स ने आगे कहा कि विरोध करने वाले सभी लोग भी मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने पार्रिकर के 48 घंटों के भीतर आवश्यक कदम नहीं उठाने पर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी । कांग्रेस के गोवा इकाई प्रमुख गिरीश चोडंकर, विपक्ष के नेता चंद्रकांत कवलेकर, विधायक दिगंबर कामत, अलेक्सो रेजिनाल्डो लोरेन्को, एंटोनियो फर्नांडीस, फ्रांसिस सिल्विरा समेत कई कांग्रेस नेताओं ने भी मार्च में हिस्सा लिया।
पर्रिकर अग्नाशय कैंसर से पीड़ित है। वह एम्स, नई दिल्ली से छुट्टी मिलने के बाद 14 अक्टूबर से अपने निजी निवास पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।