आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के कार्यक्रम में अपने उल्लेख “भारत के भविष्य” में आरएसएस के दुसरे सबसे लम्बे समय तक सेवा करने वाले प्रमुख माधव सदाशिव गोलवलकर का नाम ही नहीं लिखा था।
इस शृंखला में आरएसएस को हर तरह से समझाया गया था तथा उन्हें संगठन के बारे में भी बताया गया था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से गोलवलकर के विचार जिनमे “मुसलमानों को दुश्मन” कहा जाता है को लेकर भी सवाल किये गये।
उन्होंने इन सवालो का जवाब देते हुए कहा कि अगर विचारो की बात करे तो कोई भी बात समय के अनुसार बोली जाती है तथा उस समय की परिस्थिति को देख कर बोली जाती है। गुरूजी के विचारो का एक संकलन भी प्रकाशित हुआ है। गुरुजी के “विज़न और मिशन ” जैसी बातों को छोड़कर भविष्य की बातों पर ज्यादा ध्यान रखा गया है। आपको कभी भी मुस्लमान दुश्मन है यह नहीं सुनने को मिलेगा।
मोहन भागवत ने गोलवलकर के बारे में बात करते हुए सिर्फ उनके अंतर-जाती विवाह के समर्थन की घटना का ही जिक्र किया।
भागवत ने गोलवलकर के नाम को छोड़ कर 32 लोगो को 102 बार बोला जिससे उन्होंने यह साबित किया कि आरएसएस किसी एक इन्सान की वजह से नहीं चल रही है। सबसे ज्यादा उल्लेख आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार के बारे में थे। इसके साथ उन्होंने महात्मा गाँधी ,सुभाषचंद्र बोस समेत काफी लोगो के बारे में बताया।
गोलवलकर को आरएसएस का मुख्य इन्सान माना जाता है है क्योकि हेडगेवार की मौत के बाद इन्होने ही आरएसएस को संभाला था तथा 1973 तक चलाया था। महात्मा गाँधी की मौत के बाद उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया था। गोलवलकर जब आरएसएस को चला रहे थे उसी समय पर एबीवीपी, भाजपा जैसी पार्टिया उभर कर आई थी। उन्होंने यह भी कहा की इस सदन में बैठे लोगो में से किसी को भी गोलवलकर को अस्वीकार नहीं करना चाहिए।