भोपाल, 20 मई (आईएएनएस)|मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र बुलाए जाने की मांग करते हुए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का एक पत्र लिखा है।
नेता प्रतिपक्ष भार्गव द्वारा राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा गया है, “विधानसभा का गठन हुए और नई सरकार के प्रभाव में आए लगभग छह माह व्यतीत हो चुका है। इस दौरान प्रदेश में अनेक ज्वलंत और तात्कालिक महत्व की समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। इसलिए अविलंबनीय लोक महत्व के विषयों सहित अन्य विषयों पर चर्चा कराए जाने हेतु अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर शीघ्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने मुख्यमंत्री को निर्देशित करने का कष्ट करें।”
भार्गव ने अपने पत्र में लिखा है, “प्रदेश में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है, कानून ब्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है, किसानों के गेहूं और चने की खरीदी और मूल्य का भुगतान नहीं हो पा रहा है। किसानों की ऋणमाफी को लेकर किसान भ्रमित और परेशान हैं। पूर्व से चल रही संबल योजना व अन्य योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल रहा है। 18 फरवरी को संपन्न हुए दो दिन के लघु सत्र में इन विषयों पर चर्चा नहीं हो सकी थी, जिससे प्रदेश का बहुत बड़ा वर्ग आंदोलित है।”
लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न समाचार माध्यमों के एग्जिट पोल व सर्वे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुमत मिलने के आसार के बीच भार्गव ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “एग्जिट पोल के अनुसार एक बार फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस को दो-तीन सीटें मिलने वाली हैं। यह इस बात का संकेत है कि वर्तमान सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है। इसलिए हमारी मांग है कि राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया जाए।”
भार्गव ने आगे कहा, “विधानसभा सत्र में सत्ताधारी दल की शक्ति का भी परीक्षण हो जाएगा। कांग्रेस के पास दूसरों के सहयोग से बहुमत है, भाजपा चाहती तो वह भी जोड़-तोड़ करके सरकार बना सकती थी, मगर भाजपा ने ऐसा नहीं किया।”
ज्ञात हो कि, राज्य की विधानसभा में 230 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 114 और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 109 विधायक है। कांग्रेस सरकार बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है।
लोकसभा चुनाव को लेकर समाचार माध्यमों के सर्वे में राज्य की 29 सीटों में से कांग्रेस को अधिकतम पांच सीटें मिलने की बात कही गई है।