Fri. May 3rd, 2024
कर्नाटक बजट

नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)| सरकार समर्थित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को जिस तरह के कौशल की जरूरत है और हर साल जिस तरह के स्नातकों की आपूर्ति हो रही है, दोनों के बीच बहुत अंतर है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गैर-तकनीकी और गैर-पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों में 20-35 प्रतिशत व्यवसायिक सामग्री होनी चाहिए।

ऐसा तर्क दिया गया है कि इस कदम से उन लोगों को रोजगारपरक कौशल मिलेगा, जो इस तरह के पाठ्यक्रमों को पूरा करेंगे।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उच्च शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में कोई मेल नहीं है, क्योंकि उच्च शिक्षा मात्र चार प्रतिशत कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।

यह निष्कर्ष और सुझाव शिक्षा गुणवत्ता और उन्नयन कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी) रिपोर्ट का एक हिस्सा है, जिसका मकसद देश में शिक्षा की गुणवत्ता और इसकी सुलभता में सुधार लाना है।

ईक्यूयूआईपी के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुछ विशेषज्ञों को शामिल किया है, जिन्हें 10 समूहों में बांट दिया गया है, ताकि वे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित कर सकें, जैसे कि पहुंच, सरकार द्वारा किए गए सुधार, शिक्षा, अनुसंधान और वित्त।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *