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    गेहूं

    नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)| देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद सरकारी एजेंसियां शायद ही गेहूं खरीद के लक्ष्य को पूरा कर पाएंगी, क्योंकि सरकारी खरीद सुस्त पड़ चुकी है। गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार पहले से ही पिछले साल के मुकाबले सुस्त चल रही थी, लेकिन इस बीच बाजार में गेहूं सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के करीब बिकने लगा है, जिससे सरकारी एजेंसियों को कम गेहूं मिलने लगा है।

    भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार, देशभर में गेहूं की खरीद 325 लाख टन हो चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि की खरीद के आंकड़े से सात लाख टन कम है। पिछले साल 20 मई तक देशभर में 332 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी थी।

    एफसीआई सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश में कई जगहों पर गेहूं की आवक रुक गई है और अन्य जगहों पर भी गेहूं की खरीद की रफ्तार सुस्त पड़ गई है।

    केंद्र सरकार ने इस साल देशभर में 357 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले सीजन 2018-19 में सरकारी खरीद एजेंसियों ने देशभर में 357.95 लाख टन गेहूं की खरीद की थी।

    गेहूं की खरीद हालांकि देश में कुछ जगहों पर 30 जून तक चलेगी लेकिन हरियाणा में खरीद की आखिरी तारीख 15 मई तक ही थी और पंजाब में 25 मई के बाद खरीद बंद हो जाएगी। हालांकि दोनों राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा तय आंकड़ों से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है।

    एफसीआई आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सबसे ज्यादा 127.01 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जोकि केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए तय लक्ष्य 125 लाख टन से अधिक है। वहीं, हरियाणा में 93.23 लाख टन गेहूं खरीदा गया है जबकि तय लक्ष्य 85 लाख टन था।

    मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीद 65.45 लाख टन हो चुकी है जबकि पिछले साल अब तक 67 लाख टन से हो चुका था।

    उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप सारडा ने बताया कि इस प्रदेश में गेहूं का मंडी भाव 1850-2100 रुपये प्रतिक्विंटल है। उन्होंने कहा बाजार में अच्छे भाव मिलने से किसानों की दिलचस्पी सरकारी एजेंसियों को गेहूं बेचने के प्रति कम हो गई है।

    देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में करीब 27 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है और सरकार ने 50 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा है।

    प्रदेश की शाहजहांपुर मंडी के जींस कारोबारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि एफसीआई द्वारा गेहूं की बिक्री का आधार मूल्य बढ़ाकर तय करने के बाद बाजार में गेहूं के भाव में पिछले कुछ दिनों से जोरदार तेजी आई है। उन्होंने कहा जो गेहूं 1,700 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा था वह अब 1,800 रुपये प्रतिक्विंटल से उंचे भाव पर बिकने लगे हैं। ऐसे में किसान सरकारी एजेंसी के बजाय बाजार में गेहूं बेचने लगे हैं, क्योंकि भाव में अब ज्यादा अंतर नहीं रहा।

    केंद्र सरकार ने चालू खरीद सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

    हालांकि, उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद की आखिरी तिथि 15 जून है और कमोबेस सरकारी खरीद हो रही है, इसलिए आंकड़ा थोड़ा बढ़ सकता है। राजस्थान में अब तक महज 11 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई है और प्रदेश में खरीद की आखिरी तिथि भी 15 जून है इसलिए खरीद का परिमाण थोड़ा बढ़ सकता है।

    राजस्थान में इस साल 17 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है, जबकि पिछले साल प्रदेश में 15.32 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। हालांकि कारोबारी बताते हैं कि मंडियों में गेहूं ऊंचे भाव पर बिकने लगा है, इसलिए सरकार खरीद में अब ज्यादा इजाफा नहीं होगा।

    बाकी जगहों में बिहार में पिछले साल सिर्फ 18,000 टन गेहूं की खरीद हुई थी और इस बार शुरू भी नहीं हो पाई है जबकि गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल और चंडीगढ़ में गेहूं खरीद का परिणाम काफी कम रहता है।

    गौरतलब है कि एफसीआई ने विपणन वर्ष 2019-20 में ओपन मार्केट सेल्स स्कीम यानी ओएमएसएस के तहत गेहूं का ब्रेस प्राइस पहली तिमाही के लिए 2,080 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। हर तिमाही इसमें 55 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की जाएगी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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