केंद्र सरकार ने रबी फसल की बुआई नजदीक आते ही किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने गेहूं का आयात शुल्क दोगुना कर दिया है। यही नहीं, कनाडा से आयात की जाने वाली सस्ती मटर पर भी आयात शुल्क बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी गई है। गेहूं और मटर के आयात शुल्क में की गई इस बढ़ोतरी की जानकारी केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने दी है।
गेहूं और मटर पर बढ़ाया आयात शुल्क:
केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार गेहूं का आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। वहीं जहां मटर पर आयात शुल्क नगण्य यानि शून्य था, बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है। इस समय रबी की बुआई शुरू हो चुकी है,ऐसे में किसानों के हितों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है।
किसानों को फायदा:
आप को बता दें कि पिछले साल 9.84 करोड़ टन रिकॉर्डतोड़ गेहूं पैदा हुआ था। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि मार्केट में ज्यादा सप्लाई होने से गेहूं के दामों में ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी। इसका नुकसान ये हो सकता है कि किसान गेहूं की खेती ज्यादा ना करें।
इसे देखते हुए गेहूं के आयात शुल्क में दोगुना वृद्धि कर दी गई है ताकि बाजार में बाहर से गेंहू नही आ पाए। बाहर से गेहूं की सप्लाई नहीं होने से बाजार में गेहूं की डिमांड बढ़ेगी और किसानों को अच्छी कीमत भी मिलेगी।
वर्तमान में दलहन जैसे चना, मसूर और उड़द की कीमतों में भारी गिरावट आई है। यही नहीं बाहरी देशों से दलहन का आयात भी किया जा रहा है। जिसके चलते हो सकता है कि दलहन के भाव भी भारतीय बाजार में बिल्कुल नीचे आ जाए।
इस आशंका से उबरने तथा किसानों को उनकी दलहनी फसल का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए मटर के आयात शुल्क में भी 50 फीसदी की वृद्धि कर दी गई है। अभी कुछ ही दिनों पहले सरकार ने अन्य दलहनों के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध भी लगाया था। मटर और गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी से किसानों को तो फायदा जरूर होगा लेकिन उपभोक्ताओं के लिए आटा, सूजी, मैदा तथा सभी दालें महंगी हो जाएंगी।
2016-17 (जुलाई से जून) के दौरान गेहूं और मटर उत्पादन:
फसली वर्ष 2016—17 के दौरान देश में कुल 9.84 करोड़ टन गेहूं का रिकॉडतोड़ उत्पादन हुआ था। उस दौरान गेहूं की कीमतों में आई गिरावट को रोकने के लिए आयात शुल्क 10 फीसदी कर दिया गया था।
वहीं दूसरी ओर वर्ष 2016—17 में देश में 2.2 करोड़ टन दलहन का उत्पादन हुआ हुआ था। ऐसे में मार्केट में दलहन के दामों में भारी गिरावट देखी गई थी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि पिछले वित्तीय साल में देश ने विदेशों से 50 लाख टन दलहन का आयात किया था।