चीन के बड़े बाज़ार को ध्यान में रखते हुए गूगल ने चीन के लिए एक खास तरह की योजना पर काम करना शुरू किया है। पहली बार चीन के बाज़ार के संदर्भ में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने स्पष्ट करते हुए ये बातें कहीं हैं।
पिचाई ने ये स्पष्ट किया है कि गूगल चीन जैसे बड़े बाज़ार को यूं ही नज़रअंदाज नहीं कर सकती है। इसी के साथ गूगल चीन के बाज़ार में दोबारा प्रवेश करने का विचार कर रही है।
सुंदर पिचाई ने अपनी ये बातें ‘विज़ार्ड मैगजीन’ की पच्चीसवीं सालगिरह के मौके पर कहीं है। उन्होने कहा कि “चीन जैसे महत्वपूर्ण बाज़ार को देखते हुए, गूगल एक नियंत्रित (सेंसर्ड) सर्च इंजन पेश करने जा रहा है, संभवतः इसका नाम ‘ड्रैगनफ़्लाइ’ रखा जाएगा। यह प्रोग्राम सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा संवेदनशील समझी जाने वाली जानकारी को उसी अनुसार फ़िल्टर करेगा।”
इसी के साथ पिचाई ने कहा है कि “हम देखना चाहते थे कि यदि गूगल चीन में होता तो कैसा लगता। हमें नहीं पता था कि हम यह कर पाते या नहीं, लेकिन अब हमें लगता है कि चीन एक बड़ा बाज़ार है और हमें यहाँ भी शुरुआत करनी होगी।”
इसी के साथ गूगल नियंत्रित हो सकने वाला ब्राउज़र भी पेश करने की योजना बना रहा है, जिसे लेकर उसकी काफी आलोचना भी हुई है। इसके पहले सितंबर माह में गूगल ने ‘ड्रैगनफ़्लाइ’ का प्रोटोटाइप टेस्ट किया था।
इस प्रोटोटाइप के तहत चीन की संबन्धित सुरक्षा एजेंसी आसानी से यूजर की निजी जानकारी तक पहुँच सकती है, इसी बात के विरोध में गूगल के वरिष्ठ वैज्ञानिक जैक पल्सन समेत कई कर्मचारियों ने गूगल से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद मीडिया में इस फीचर की जानकारी लीक हो गयी थी।
गूगल ने इससे पहले 2006 में चीन में अपना सर्च इंजन लॉंच किया था, लेकिन चीनी इंटरनेट पर वहाँ की सरकार के नियंत्रण के चलते 2010 में गूगल ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
मालूम हो कि अमेरिका की ट्रम्प सरकार भी गूगल को ‘ड्रैगनफ़्लाइ’ प्रोजेक्ट से पीछे हटने का सुझाव दे चुकी है।