प्रदुषण पर हाल ही में प्रकाशित की गयी एक रिपोर्ट में भारतीय एनसीआर क्षेत्र विश्व में सबसे प्रदूषित क्षेत्र के रूप में सामने आया है। पेश की गयी रिपोर्ट में गुरुग्राम, ग़ज़िआबाद, फरीदाबाद, नॉएडा और भिवाड़ी छह सबसे ज़्यादा प्रभावित शहर थे।
दक्षिण एशिया के हालात सबसे खराब:
जकार्ता में पेश की गयी इस रिपोर्ट में बताया गया है की प्रदुषण के मामले में दक्षिण एशिया में सबसे खराब हालात हैं। रिपोर्ट में विश्व के सर्वार्धिक प्रदूषित शहर का दर्जा दक्षिण एशिया के ही कुछ शहरों को मिला है। 2018 में विश्व की 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 18 केवल दक्षिण एशिया में से ही थे जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की दक्षिण एशिया में यह समस्या कितने ज्यादा गंभीर स्तर पर है।
यदि हम बढ़ते प्रदुषण से एक साल में होने वाले नुक्सान के बारे में यदि चर्चा कर्रें तो इस रिपोर्ट में कहा गया है की इसी दर से प्रदुषण यदि बढ़ता है तो अगले वर्ष विश्वभर में करीब 70 लाख मौतें केवल प्रदुषण की वजह से होने की आशंका बनी हुई है। इसके साथ साथ ही जानहानि के अलावा विश्व भर में प्रदुषण की वजह से 225 अरब डॉलर का भी खर्चा होगा जिससे हम अनुमान लगा सकते हैं की प्रदुषण की समस्या कितने बड़े पैमाने पर फ़ैल चुकी है।
रिपोर्ट का विस्तार :
पेश की गयी इस रिपोर्ट में विश्वभर के लगभग 3000 से भी ज्यादा शहरों को परखा गया था जिनमे से 64 प्रतिशत से अधिक शहरों को सामान्य प्रदुषण स्तर से ऊपर पाया गया। दक्षिणपूर्वी एशिया में 95 प्रतिशत शहरों के प्रदुषण के स्तर को सामान्य से अधिक पाया गया। इसके साथ ही पूर्व एशिया के 89 प्रतिशत शहरों के प्रदुषण स्तर को सामान्य से ऊपर पाया गया।
रिपोर्ट में उन शहरों का भी ज़िक्र किया गया था जिन्होंने पिछले कुछ समय में सुधार किया है और चीन का बीजिंग उनमे से एक है जिसमे पिछले कुछ समय में तेज सुधार देखा गया है। रिपोर्ट में बयान दिया गया है की एशिया के शहरों को चीन के बीजिंग शहर से सीख लेनी चाहिए।
भारत पर विशेषज्ञों का मत :
विशेषज्ञों के अनुसार यदि भारत के शहरों में प्रदुषण स्तर को कम करना है तो विभिन्न उद्योग कारखानों से निकल रहे धुएं आदि के उत्सर्गन पर एक सीमा तय करनी चाहिए ताकि उससे ज्यादा प्रदुषण ना फैलाया जा सके। इसके साथ सातः ही हमें पारंपरिक इंधन के इस्तेमाल को बहुत कम कर देना चाहिए ताकि प्रदुषण कम हो सके और बिजली के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
ऐसा करने से प्रदुषण तो कम होगा ही साथ ही भारत दुसरे देशों से तेल आयत पर भी निर्भर नहीं होगा और इससे खर्चा भी कम होगा। इस रिपोर्ट द्वारा वे चाहते हैं की लोगों को हवा के महत्त्व का पता चले और वे इसकी गुणवत्ता को बचाने के पूरे प्रयास करें।