मंगलवार को गुजरात सरकार ने एक परिपत्र जारी किया जिसमे उसने गुजरात के विभिन्न अधिकारियों को लोकप्रिय PUBG मोबाइल गेम पर पूर्ण बैन लगाने के लिए कहा।
गुजरात राज्य आयोग ने की थी सिफारिश :
सूत्रों के मुताबिक़ इस मोबाइल गेम पर बैन लगाने की गुजरात सरकार से सिफारिश गुजरात राज्य आयोग ने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए की थी। इसमें कहा गया था की यह गेम छात्रों की पढ़ाई ओर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
क्या लिखा था परिपत्र में ?
गुजरात सरकार द्वारा जारी किये गए परिपत्र में जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को प्राथमिक स्कूलों में PUBG पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे। इसमें कहा गया था की इस मोबाइल गेम का स्कूल छात्रों पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है।
जागृति पांड्या का बयान :
जागृति पांड्या जोकि गुजरात बाल अधिकार संस्था की चेयरपर्सन हैं, उन्होंने बताया की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने देश भर में इस खेल पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
जागृति पांड्या ने यह भी कहा की एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों को एक पत्र भेजा था जिसमे उसके द्वारा इस मोबाइल खेल पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। सभी राज्यों को इसे लागू करने की आवश्यकता है। खेल के नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, हमने हाल ही में गुजरात राज्य सरकार को भी एक पत्र भेजा था जिसमें खेल पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई थी।
PUBG गेम के बारे में जानकारी :
PUBG एक गेम है जिसमें 100 प्लेयर्स एयरप्लेन से एक आइलैंड पर उतरते हैं। यहां पहुंचने पर उन्हें वहां मौजूद अलग-अलग घर व स्थानों पर जाकर आर्म्स, दवाइयां और कॉम्बेट के लिए जरूरी चीजों को कलेक्ट करना होता है। प्लेयर्स को बाइक, कार और बोट मिलती है ताकि वह हर जगह जा सकें और दूसरे अपोनन्ट को गेम में मारकर आगे बढ़ सकें। 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला प्लेयर गेम का विनर बनता है।
पिछले कुछ समय में ये गेम भारत में बहुत तेजी से पॉपुलर हुआ है। हाल में इस गेम की लत के कारण हजारों युवाओं के व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है। चिकित्सकों के मुताबिक ये बहुत चिंताजनक है कि किसी गेम की लत के कारण हजारों युवाओं में असामान्य व्यवहार के मामले सामने आ रहे हैं।