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    हिमाचल प्रदेश

    गुजरात में इस समय राजनीति अपने उफान पर है। विधानसभा के चुनाव हो चुके है। नतीजे भी सामने आ चुके है। लेकिन अब लड़ाई मुख्यमंत्री के पद की है। तमाम छोटे-बड़े अखबारों से लेकर बड़े बड़े मीडिया चैनलों में इस बात की बहस तेज है कि गुजरात की सत्ता इस बार किसके हाथ लगेगी।

    गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के साथ ही नई सरकार के गठन का मार्ग अब प्रशस्त हो गया है। खबर आ रही है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए नवनिर्वाचित भाजपा विधायक शुक्रवार को गांधीनगर में बैठक करेंगे। बहरहाल नए सरकार के गठन तक रूपाणी ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात की सत्ता संभालेंगे।

    यूपी के फॉर्मूले पर बच सकती है विजय रुपाणी की कुर्सी

    यूपी के फार्मूले पर अगर गुजरात में मुख्यमंत्री पद का चुनाव होता है तो प्रदेश में विजय रुपाणी की सीट बच भी सकती है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार विजय रुपानी को दुबारा मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया जा सकता है। पार्टी उनके नाम पर गहराई से विचार कर रही है।

    पार्टी में किसी भी प्रकार की तकरार न हो इसके लिए बीजेपी दो उपमुख्यमंत्री बनाने का रास्ता निकाल सकती है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार बीजेपी आदिवासी नेता गणपत वसावा को उपमुख़्यमंत्री के पद पर बैठा सकती है।

    दो उपमुख्यमंत्री बनाने के फॉर्मूले पर बीजेपी पहले ही यूपी में काम कर चुकी है। यूपी में पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा था और केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया था।

    मुख्यमंत्री की दौड़ में यह नाम है सबसे आगे

    गुजरात के मुख्यमंत्री दौड़ में सबसे चर्चित नाम है स्मृति ईरानी का। माना जा रहा है कि स्मृति को गुजरात का सीएम बनाया जा सकता है। इसके अलावा नितिन पटेल और गुजरात से राज्यसभा सदस्य मनसुख मंडाविया का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा है।

    मंडाविया का नाम इसलिए भी अहम है क्यूंकि वो खुद पाटीदार समाज से आते है। इस चुनाव में पाटीदारो की वजह से बीजेपी के वोट बंट गए थे। मंडाविया को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी के लिए इसलिए अच्छा हो सकता है क्यूंकि इस फैसले से पार्टी उन पाटीदारों को रिझा सकती है जो हाल फ़िलहाल में पार्टी से अलग हुए है।

    गुजरात की तरह ही हिमाचल में भी मुख्यमंत्री के नाम पर संशय बना हुआ है। इस पद को पाने के लिए राजनेता द्वारा तमाम तरह के उपाय किए जा रहे है। हालंकि बीजेपी सूत्रों ने कहा है कि मुख्यमंत्री कोई विधायक दल से ही होगा।

    गुजरात और हिमाचल में मुख्यमंत्री का चुनाव बीजेपी के लिए एक कठिन फैसला है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री चुनाव का असर आने वाले महारष्ट्र विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी पर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ेगा।