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    गुजरात विधानसभा चुनाव में अहम है सानंद

    गुजरात के ऑटोमोबाइल केंद्र के रूप में जाना जाने वाला शहर सानंद आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आजकल राजनीतिक कारणों से चर्चा में है। सानंद की सीट गुजरात के 182 सीटों में से एक है। यह अहमदाबाद जिले के अंतर्गत आता है। सानंद सीट 2008 के सीमांकन के बाद से अस्तित्व में आई थी।

    सानंद शहर की आबादी 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार 2,37,845 है जिसमें से 1,23,742 आबादी पुरुषों की है तथा 1,14,103 आबादी महिलाओं की है। सानंद से कांग्रेस के करमसिंह भाई पटेल विधानसभा सदस्य है। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के कामाभाई राठौड़ को कुल 4,148 वोटों से हरा दिया था। सानंद का लिंगानुपात 922 है। इस शहर की समस्याओं को समझना कठिन है क्योंकि यहाँ की सामाजिक संरचना एक समान नहीं है।

    इस क्षेत्र की आधी आबादी ग्रामीण है वहीं आधी आबादी शहरी है। 2012 के सेन्सस के अनुसार यहाँ की 59.7 फीसदी आबादी शहरी है, जबकि 40.3 फीसदी आबादी ग्रामीण है। नैनो कार विवाद से सुर्खियों में आने वाले शहर सानंद की साक्षरता दर प्रशंसनीय है। सानंद की शहरी साक्षरता दर 82.04 फीसदी और ग्रामीण साक्षरता दर 67.9 फीसदी है। सानंद शहर की कुल साक्षरता दर 73.79 फीसदी से अधिक है।

     

    धर्म

    कुल योग

       हिन्दू      

    92.16

    मुस्लिम

    7.39

    सिख

    0.04

    ईसाई

    0.12

    जैन

    0.2

    बौद्ध

    0.03

    अन्य

    0.01

    2012 के सेन्सस रिपोर्ट सानंद की जनसंख्या का धार्मिक आंकलन

    सानंद शहर में अनुसूचित जाति और जनजाति दोनों समुदाय अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। खासकर चुनाव के समय में यहाँ का जातीय समीकरण इन्ही दोनों समुदायों के इर्द-गिर्द रहता है। सानंद में 29,654 अनुसूचित जाति के मतदाता है तथा 1,404 अनुसूचित जनजाति के मतदाता है। यह जगह चुनाव की दृष्टि से सबके मान और सम्मान का विषय मानी जाती है। यहाँ की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू आबादी है। यहाँ पर हिन्दुओं की जनसंख्या 92 फीसदी है। इस क्षेत्र में बाकी धर्मो के लोग अल्पसंख्यक है। यहाँ मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध तथा अन्य धर्म के लोग भी रहते है।

    2012 के विधानसभा चुनाव का अगर विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे कि पिछले बार कांग्रेस मात्र कुछ वोट से ही यहाँ की सीट जीती थी। बीजेपी और कांग्रेस के हार जीत में कोई ज्यादा फर्क नहीं था। बीजेपी बस 3 फीसदी वोटों से यहाँ कांग्रेस से हार गयी थी। ऐसे में इस बार सानंद सीट पर किसका कब्जा होगा यह कहना कठिन है।