गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ी बात अगर कुछ है तो वह है बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना। कांग्रेस की पूरी कोशिश यही है कि बस किसी भी तरह से बीजेपी को सत्ता में आने से रोक दिया जाए।
बाकी दलों ने भी बीजेपी के खिलाफ मानों कांग्रेस का रास्ता साफ़ कर दिया है। अब सारी उम्मीद राहुल गाँधी के ऊपर आकर तिकी हुई है। सभी दल कांग्रेस के सहारे बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना चाहते है।
पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करने से पता लगता है कि राज्य की 182 सीटों में से 115 पर बीजेपी ने अपनी जीत का झंडा फहराया था। बाकी के बाकी के 61 सीट कांग्रेस की झोली में गए थे। जबकि बाकी सीटों में से 2 एनसीपी, 2 गुजरात परिवर्तन पार्टी, 1 जेडीयू और 1 सीट को निर्दलीय ने जीता था।
इस बार की चुनाव में सेक्युलर मानी जाने वाली कई पार्टियों ने कांग्रेस के लिए मैदान छोड़ दिया है। सपा ने भी मात्र कुछ सीटों पर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है जबकि पिछली बार यहां से सपा ने कुल 60 उम्मीदवार यूद्ध में उतारे थे। लालू की पार्टी राजद ने कांग्रेस को समर्थन देते हुए चुनाव में न उतरने का फैसला किया है।
कांग्रेस के समर्थन में आरएलडी भी चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस की लड़ाई और भी आसान है क्यूंकि एनडीए का हिस्सा रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी इस चुनाव में नहीं उतर रही है। पिछली बार 62 सीटों पर उतरने वाली जेडीयू भी इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी है।
इन सभी पार्टियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को समर्थन होने बावजूद कांग्रेस के लिए यह समर जीतना आसान नहीं है, क्यूंकि बीएसपी अभी भी कांग्रेस की जीत के बिच पहाड़ बनी हुई है बीएसपी के उतरने से कांग्रेस की जीत का गणित बिगड़ सकता है।