गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान गुरूवार, 14 दिसंबर को होगा। कल सुबह 8 बजे मतदान शुरू होंगे और 5 बजे तक होंगे। दूसरे चरण में 14 जिलों की 93 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने है। 9 दिसंबर को राज्य में पहले चरण के मतदान में 89 सीटों के लिए 66.75 फीसदी मतदान हुआ जो कि 2012 के मुकाबले 4.75 फीसदी कम रहा। सत्ताधारी दल बीजेपी ने दूसरे चरण के चुनाव के लिए अपनी रणनीति मजबूती से बनाई है।
बीजेपी नेअपने सारे पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें योजना के अन्तर्गत कार्य करने की सलाह दी है। पार्टी ने सभी बूथ इंचार्जों को चुनाव के दिन सुबह 7 बजे ही बूथ का मोर्चा सँभाल लेने का निर्देश दिया है। बीजेपी अंतिम चरण के मतदान को लेकर बहुत सक्रिय दिख रही है। बीजेपी आलाकमान ने मतदान केंद्रों को ‘शक्ति केंद्र’ का नाम दिया है। एक मतदान केंद्र में 3 बूथ आते है लेकिन ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र में एक मतदान केंद्र में 8 से 10 बूथ आते है। भारतीय जनता पार्टी ने हर शक्ति केंद्र का एक इंचार्ज बनाया है। मतदान इंचार्ज का कार्य वहाँ की जानकारियों को जिला अध्यक्ष और उम्मीदवार को पहुँचाना होगा।
हर बूथ इंचार्ज को ये निर्देश दिया गया है कि अपने तहत आने वाले सभी पन्ना प्रमुखों के साथ व्हाट्सएप्प और मैसेज के जरिए हर घंटे समन्वय करते रहें। इंचार्ज यह जानने की कोशिश करेगा कि पत्र में जिनके नाम है उनमें से कौन-कौन वोट दे चुका है और किसने अभी तक वोट नहीं दिया है। पन्ना प्रमुखों को ये निर्देश भी दिए गए हैं कि उनके पन्ने के जो वोटर शहर से बाहर गए हैं उनकी जानकारी भी बूथ इंचार्ज को दें। साथ ही ऐसे वोटरों के परिवार से संपर्क करने की कोशिश करने को कहा गया है जिससे बाहर गए वोटर आकर अपना वोट डालें।
बता दें कि इस बार मध्य गुजरात को लेकर बीजेपी ज्यादा सक्रिय दिख रही है। यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। भाजपा ने इस जगह में कांग्रेस पार्टी में सेंध लगाने के लिए प्रचार में तेजी दिखाई है। इस बार भाजपा मध्य गुजरात को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बता दें कि दूध उत्पाद बनाने वाली कंपनी के चेयरमैन और 6 बार के विधायक राम सिंह परमार हाल ही में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि आणंद और खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों पर परमार की अच्छी पकड़ है। इन क्षेत्रों के बहुत सारे लोग परमार की दूध उत्पादन कंपनी से जुड़े है जिससे भाजपा को इसका लाभ मिलना तय है।
इस बार के विधानसभा चुनावों में यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि पिछले कई विधानसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। मुख्यतः इसके दो कारण हो सकते है। पहला 22 साल से राज्य में भाजपा की सरकार होने की वजह से एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर और दूसरा राज्य में मुख्यमंत्री के लिए पार्टी में वैसा चेहरा नहीं जो गुजरात में 13 साल से सरकार संचालित करने वाले नरेन्द्र मोदी की जगह ले सके। यही कारण है कि बीजेपी को गुजरात में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
भाजपा को अब गुजरात में चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस छोड़कर आए दलबदलू विधायकों और छुटभैया नेताओं की बैसाखियों का सहारा लेना पड़ रहा है। अब यह देखना है कि चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आता है या नहीं।