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    नरेंद्र मोदी

    गुजरात चुनाव की गर्माहट पुरे देश में फैली हुई है, एक तरफ जहां राहुल गाँधी गुजरात में रैलियां कर के मोदी सरकार पर हमला कर रहे है वहीं भाजपा ने इसके जवाब में तैयारी कर ली है। भाजपा अपनी टीम के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को इस चुनाव में 50-60 रैलिया करवाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने बताया है कि आने वाले समय में गुजरात में नरेंद्र मोदी 50-60 रैलिया कर सकते है। गुजरात में चुनाव दो चरणों में हो रहे है, इन चरणों के अनुसार पीएम मोदी भी अपनी इन चुनावी रैलिया को अलग अलग इलाको में चुनावी चरण के हिसाब से करेंगे।

     

    बीजेपी के लिए साख की बात

    गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के चिंतित होने की काफी वजह है। भाजपा ने पिछले 22 सालो से गुजरात पर राज़ किया है, हाल में हुई परिस्थितियों से भाजपा अपने ही घर में हो रहे चुनाव को लेकर डरी हुई है। भाजपा के लिए गुजरात चुनाव की जीत अपने साख को बचाने को लेकर होगी। गुजरात के विधानसभा चुनावो से 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावो में मदद मिलने वाली है, अगर इस चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो यह बीजेपी के लिए 2019 में बड़े संकट की बात होगी और अगर भाजपा ये चुनाव जीतती है तो 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा को मज़बूती मिलेगी।

     

    राहुल कर रहे है सेंधमारी

    गुजरात विधानसभा चुनाव में राहुल गाँधी भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी करने में लगे हुए है, 2002 के बाद बीजेपी के जीतने में प्रमुख योगदान हिंदुत्व वोटबैंक का था और कांग्रेस के लिए हारने की वजह उनके ऊपर लगा एंटी-हिन्दू का टैग होना था। कांग्रेस की इस चुनाव में अपनी रणनीति साफ़ है उन्होंने इस चुनाव में मुस्लिमो को लेकर राजनीती करने की बजाय हिन्दू वोटबैंक में सेंध मारने की सोची है, राहुल गाँधी गुजरात दौरे के दौरान मंदिरो में दर्शन करने गए थे, राहुल गाँधी द्वारिका से लगाकर अलग-अलग मंदिरो में गए है।

     

    आदित्यनाथ को उतारा मैदान में

    भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अपने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को गुजरात में रैली करने के लिए उतार दिया है, भाजपा नहीं चाहती की वह किसी भी कीमत पर यह चुनाव हारे इसीलिए बीजेपी ने गुजरात चुनाव में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ को चुनाव में प्रचार के लिए उतार दिया है।

    भाजपा को ऐसे सियासी पेंच लड़ते देख लगता है कि उन्होंने कही न कही अपनी हार को लेकर कुछ डर का एहसास हो रहा है, भाजपा ने पीएम मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को चूनावी मैदान में उतार कर विपक्ष के होंसले बढ़ा दिए है।

    आदित्यनाथ गुजरात में

     

    चेहरा नहीं है भाजपा के पास

    भाजपा भले ही अपने आप को गुजरात के लिए बताने की बात करती होलेकिन भाजपा के पास इस चुनाव के लिए कोई ख़ास चेहरा नहीं है, बीजेपी ये चुनाव पीएम मोदी और अमित शाह के नाम पर लड़ेगी। वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपानी की लोकप्रियता पर भी भाजपा ज्यादा विश्वास नहीं कर सकती क्योकि उन्हें आनंदी बेन के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाया गया है।

     

    पाटीदारो का विरोध पड़ेगा भारी

    भाजपा शासन में हुए पाटीदार आंदोलन से बीजेपी के चुनावी रणनीत्ति पर असर पड़ सकता है, पाटीदारो को भाजपा का खास वोटबैंक माना जाता था लेकिन 2015 में हार्दिक पटेल द्वारा किये गए पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद पाटीदार के वोट भाजपा के हाथ से दूर जा रहे है।

     

    जातीय समीकरण से भाजपा परेशान

    गुजरात में पाटीदार की दो मुख्य उपजातिया है जिसके दम पर अलग-अलग वोट मांगे जाते है, इनमे लेवा और कड़वा पटेल है। लेवा पटेल की संख्या गुजरात के सौराष्ट्र में अधिक है वही पाटीदारो के नेता हार्दिक पटेल कड़वा जाती से आते है जिनकी संख्या उत्तरी गुजरात में अधिक है।

    वहीं दूसरी और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर जिस जाती का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस से जुड़े है वह पहले से ही कांग्रेस के खेमे में समझी जाती रही है। भाजपा के लिए एक चिंता कला विषय है कहीं ठाकोर अपने साथ अन्य ओबीसी जातियों को कांग्रेस में साथ ना ले जाए। दूसरी तरफ अल्पेश ठाकोर के राजनीती की बात करे तो उनके लिए एकमात्र राजनीती विकल्प कांग्रेस थी क्योकि वे जातिगत राजनीती ही कर रहे है।

     

    दलित दे सकते है तकलीफ

    दलित को लेकर हुई ऊना में हिंसा एक ऐसी घटना थी जिससे दलितों का गुस्सा काफी बढ़ गया उनमे से एक नेता पैदा हो गया जिसका नाम जिग्नेश मेवानी है। गुजरात में मुख्यतः दलित दो समुदायों से आती है, बुनकर और चर्मकार। बुनकरों की संख्या चर्मकारों से अधिक है जिग्नेश चर्मकारों का प्रतिनिधित्व करते है लेकिन पिछले कुछ समय से अपने भड़काऊ भाषणों की वजह से वे सभी दलितों के लिए नेता बन गए है। ऐसे में जिग्नेश का वोटबैंक भी भाजपा के लिए खतरा है।

     

    शहरी वोट है बीजेपी के खाते में

    गुजरात के शहरी लोगो का अभी तक भाजपा से मोह-भंग नहीं हुआ है, शहरी लोग अब भी भाजपा को मौका देना चाहते है, कांग्रेस का साथ शहरी लोग अब भी नहीं देना चाहते है, यह बात कांग्रेस को ज्यादा परेशान करती दिख रही है। वोट बैंक की बात कि जाए तो भाजपा को गुजरात में 182 सीटों में से 45 सीटें अपने खाते में जाती दिख रही है, बीजेपी को केवल बची हुई 97 ग्रामीण सीटों पर मेहनत करनी है जिससे बीजेपी का ग्राफ 92 को पार कर जाए। कांग्रेस के लिए इतनी सीट लाना कठिन काम है, देखना होगा कि कांग्रेस अपने लक्ष्य को भेद पाती है या नहीं।