Tue. Dec 24th, 2024
    प्रतीकात्मक तस्वीर

    सरकार नोटबंदी को हथियार बनाकर कितना भी यह दावा क्यों न कर ले कि देश से काला धन अब ख़त्म हो गया है, लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव में हो रहे काले धन के प्रयोग से मना नहीं कर सकती है। वैसे तो भारत में लगभग हर चुनाव में धनबल की ताकत देखने को मिलती है लेकिन इस चुनाव में जिस तरह से धनबल और विशेषकर कालेधन का प्रयोग किया जा रहा है वो सबको आश्चर्यचकित कर देगी।

    कालेधन के प्रयोग से लेकर इसको एक जगह से दूसरे जगह तक पहुँचाने के तरीके तक सबकुछ बहुत ही गोपनीय है। कालेधन को चुनाव के लिए इस्तेमाल करने में नेताओं को सबसे बड़ा साथ मिला है आंगडियों का। गौरतलब है कि आंगडिया हीरा व्यापारियों के बीच पैसा बांटने का काम करते है तथा इन्हे हीरा व्यापारियों का कूरियर ब्वॉय भी कहा जाता है।

    कैसे हो रहा है आंगडियों का इस्तेमाल?

    आंगडियों का नेटवर्क गुजरात समेत कई राज्यों में फैला हुआ है। यह लोग पैसा लेकर ट्रैवल भी नहीं करते। पैसा एक जगह पर जमा किया जाता है और दूसरे जगह से निकला जाता है। ऐसे में बीच में पैसा पकड़े जाने का खतरा या डर बिलकुल नहीं होता है। इस पुरे क्रम में ज्यादा से ज्यादा एक से दो दिन का समय लगता है।

    नेताओं को कालेधन में सहयोग देने के बदले यह लोग 10 से 15 प्रतिशत का कमिशन लेते है। चुनाव में आंगडियों की जरूरत क्यों है, यह बात ध्यान देने योग्य है। दरअसल इस चुनाव में किये जा रहे धनबल के प्रयोग पर चुनाव आयोग की खास नजर है। आयोग ने उम्मीदवारों द्वारा चुनाव में अधिकतम खर्च की सीमा 28 लाख रुपये रख दी है।

    चुनाव में हो रहे हर लेनदेन पर आयोग की ख़ास और गहरी नजर है। लेकिन आंगडियों वाले केस में मामला अलग है। यहां पर पैसा बाहर से मंगाया जाता है और बिना बैंक की सुचना से निकाला जाता है।