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    बीजेपी बनाम कांग्रेस

    राजनीति में अतीत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अतीत को भूत शायद इसलिए भी कहा जाता है क्यूंकि वो सदा भूत की भाति इंसान का पीछा करती रहती है। अतीत गुजर तो जाती है लेकिन कभी ख़त्म नहीं होती। इंसान और समाज पर उसका प्रभाव किसी न किसी रूप में देखने को मिलता रहता है।

    कहते है अगर भविष्य को सुधारना है तो इंसान को अतीत आंकलन करना चाहिए क्यूंकि मन की समस्त शंकाओं, मुसीबतों और परेशानियों का जवाब अतीत के गर्व में कहीं मौजूद होता है। इन बातों को कोई समझे न समझे लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां बखूबी समझ रहीं है। दोनों ही पार्टियां भूतकाल में की हुई बचकानी गलतियों को नहीं दोहरा रहीं है।

    इतिहास से सबसे ज्यादा सबक किसी ने लिया है तो वो कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस की राजनीति इस बार बहुत बदली हुई सी नजर आ रही हैं। ना तो वो कोई हिन्दू मुस्लिम का राग गा रहीं हैं, ना मोदी को हत्यारा या खुनी कहकर संबोधित कर रहीं हैं और ना उनको ‘मोत का सौदागर’ बता रहीं हैं।

    पद्मावती विवाद पर भी कांग्रेस चुप हैं और कहीं ना कहीं इस मुद्दे पर राजपूतों को लुभाने के लिए समर्थन भी कर रहीं हैं। उनके कई नेताओं ने फिल्म के विपक्ष में बयान दिए हैं।

    खुद को मुस्लिम समाज की हमदर्द बताने वाली पार्टी चुनावी हालातों को देखकर मुस्लिमों से बहुत दूर खड़ी नजर आती हैं। ऐसा क्यों हैं इसका जवाब भी अतीत में ही छुपा हुआ हैं। मामला साल 2002 का है जब पटेलों और मुस्लिमों में गहरा विवाद हुआ था। उस विवाद की आग कुछ ऐसी थी कि आज तक यह दोनों समाज एक दूसरे के विपरीत खड़े नजर आते है।

    राजनीति का रूल है कि खुश उसे रखा जाता है जो आपको खुश रखने की ताकत रखता हो और गुजरात में फ़िलहाल यह ताकत पाटीदार समाज के पास है। यहीं कारण है कि पटेल और मुस्लिम संघर्ष को देखते हुए इस बार कांग्रेस ने अपनी लिस्‍ट से मुसलमानों को गायब कर दिया है।

    इतिहास का सहारा लेने में बीजेपी भी पीछे नहीं है। मोके का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए कम से कम यह बात तो सबको इस पार्टी से सीखनी ही चाहिए। फिल्म पद्मावती से ऊपजे विवाद को बीजेपी ने चुनावी रंग दे दिया है। उन्होने राहुल गांधी की तुलना अलाउद्दीन खिलजी से करते हुए कहा है कि बाहरी ताकतों को गुजरात में प्रवेश न करने दे। बता दे कि अलाउदीन खिलजी गुजरात के रास्ते से ही हिन्दुस्तान में आया था।

    राहुल को खिलजी कहना मात्र आरोप भर नहीं है। मुद्दे की गहराई में जाकर देखे तो पता लगेगा इसमें भी राजनीति है। बीजेपी राहुल को अलाउदीन कहकर यह जताना चाहती है कि यह पार्टी एक लुटेरा पार्टी है तथा अलाउदीन की तरह ही गुजरात और हिन्दुस्तान को लूटने आयी है।