गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए नाक का विषय बन चुका है। छोटे छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर कांग्रेस के बड़े बड़े महारथी, सब काम धाम छोड़कर सिर्फ गुजरात पर ध्यान दे रहे है। यूपी में हारने के बाद कांग्रेस गुजरात को किसी भी तरह हाथ से नहीं जाने देना चाहती है।
कांग्रेस के बड़े से बड़े नेता गुजरात पर अपनी अपनी रणनीति तैयार कर रहे है। यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी गुजरात को लेकर मौन नहीं है।
कांग्रेस के समय हुए बड़े बड़े घोटालों और घपलों पर भले ही मनमोहन सिंह कुछ नहीं बोलते लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि वो बीजेपी को यूपी के बाद अब गुजरात भी इतनी आसानी से ले जाने देंगे। कम से कम उनके तेवरों को देखने के बाद तो यही प्रतीत होता है।
अपने शांत मिजाज के लिए प्रसिद्ध मनमोहन सिंह बीजेपी सरकार पर गुजरात में जमकर बरस रहे है। वो मोदी को कालाधन, महंगाई, जीएसटी और विशेषकर नोटबंदी पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है। मनमोहन नोटबंदी को लेकर सरकार को पहले भी घेरते आए है।
पूर्व प्रधानमंत्री का चुनाव में बीजेपी सरकार के खिलाफ बोलना कांग्रेस के लिए शुभ माना जा रहा है। नोटबंदी पर भले कोई नेता कुछ भी बोले और कितना भी गला फाड़े लेकिन मनमोहन सिंह का बोलना अपने आप में महत्वपूर्ण है।
नोटबंदी पर सरकार को घेरते हुए मनमोहन सिंह ने कहा है कि “इसमें कोई दो राय नहीं कि 8 नवंबर का दिन देश के लिए कलादिन था”, लोगों को नोटबंदी से जान और माल का नुक्सान हुआ है। उन्होने कहा कि “बीजेपी की सरकार इतनी कठोर कैसे हो सकती है कि 100 देशवासियों की मौत का जश्न मना रही है।”
मनमोहन सिंह प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी है। 1991 में देश में आर्थिक उदारीकरण लाने के लिए प्रसिद्ध मनमोहन के बयानों में वजन माना जा रहा है। निश्चय ही मनमोहन का बीजेपी सरकार के खिलाफ उतरना कांग्रेस के लिए फायदेमंद है।