Mon. Dec 23rd, 2024
    गुजरात विधानसभा चुनाव

    एक ऐसा आंदोलन, जिसने देश की दशा और दिशा दोनों को बदल कर रख दिया, एक ऐसा आंदोलन जिसने राजनीतिक सियासत में भूकंप सा ला दिया, एक ऐसा आंदोलन जो देश की राजधानी से आरम्भ हो, सत्ता का केंद्र बन गया। हम बात कर रहे है अन्ना हजारे जन आंदोलन की जो आरम्भ हुआ था देश की मैली सियासत के खिलाफ, लेकिन जाते-जाते सत्ता का एक और विकल्प छोड़ गया और निर्माण हुआ एक ऐसे दल का जो आम लोगों से भरा है, जो देश को हाथ में झाड़ू लिए साफ करने की बात करता है। शायद यही वजह थी कि 2015 विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने उन्हें असाधरण रूप से बहुमत दे सत्ता की गद्दी पर बैठाया और फिर आरम्भ हुआ सत्ता की होड़ में राजनीतिक खेल का, जिसका परिणाम अब पूरी पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। शायद यही तो कहानी रही है अब तक अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की।

    जैसा कि हम सब जानते है, इस समय देश में अगर कोई बड़ा मुद्दा चल रहा है तो वह गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव का है। इन चुनावों ने पूरे देश को अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है। प्रत्येक दल यह चुनाव जीत अपनी साख और बात सिद्ध करना चाहता है, शायद इसीलिए प्रत्येक दल भिन्न-भिन्न रणनीति अपना रहे है, लेकिन इन सबसे हट कर आम आदमी पार्टी का चुनावी पैतरा कुछ अलग ही है। आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रभारी गोपाल रॉय का कहना है कि पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में आप कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं द्वारा घर-घर जाकर वोट मांगने की रणनीति अपनाई है। इसलिये राष्ट्रीय नेताओं को मुख्य प्रचारक के तौर पर गुजरात जाने की कोई आवयश्कता नहीं है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं द्वारा जनसंपर्क अभियान को ही प्रचार का मुख्य आधार बनाया है।

    दरअसल, आप ने गुजरात की कुछ चुनी हुई सीटों पर ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। वह केवल गुजरात की 182 में से 33 विधानसभा सीटों पर ही अपने उमीदवार उतार रही है। अब उनकी यह रणनीति कितना रंग लाने वाली है, यह तो चुनाव के बाद आने वाला परिणाम ही बताएगा।