पाकिस्तान के गिलगिट बाल्टिस्तान के नाराज शिक्षको ने नौकरी की नियमितता के वाडे को पूरा नहीं किये जाने पर प्रदर्शन किया है। सालो की मांगो के बाद सरकार ने 750 पदों को बीते वर्ष नियमित कर दिया था लेकिन इस ऐलान को सात महीने गुजर जाने के बावजूद अमल में नहीं लाया गया है।
पर्याप्त तनख्वाह नहीं
गिलगिट बाल्टिस्तान में टीचर एसोसिएशन के सचिव सज्जाद हुसैन ने कहा कि “साल 1994 से गिलगिट बाल्टिस्तान की 375 इमारतो में 58000 छात्रों को बुनियादी शिक्षा 1464 शिक्षक दे रहे हैं। इन अध्यापको को पर्याप्त तनख्वाह नहीं दी जाती है। इस साल हमें सात महीने की तनख्वाह नहीं मिली है। हमें तनख्वाह के नाम पर सिर्फ 8000 रूपए मिले हैं।”
इस इलाके के शिक्षको को न सिर्फ पर्याप्त तनख्वाह नहीं दी जताई है बल्कि इस्लामाबाद के निर्देश और हितो के तहत पढ़ाने के लिए भी मजबूर किया जाता है। लोगो को शांत करने के लिए इस ऐलान को अमल में लाने का इस्लामाबाद के पास वक्त है। बहरहाल जब वादों को पूरा करने की बात आई तो, उसने यू टर्न लिया है। देरी एक नया पैंतरा है जिसके तहत वह इस इलाके के लोगो के साथ धोखेबाजी कर रहा है।
सज्जाद ने कहा कि “अगर हम नियमितता के बाबत बात करते हैं तो इस इलाके के मुख्यमंत्री हाफिज हफीजुर रहमान ने हमारे लिए रिक्त पद निकाले थे और हम इसके लिए उनके शुक्रगुजार है। लेकिन अब देरी होती जा रही है। इस देरी के कारण हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और हमें डर है कि यह पद छीन लिए जायेंगे क्योंकि सदन एक वर्ष में भंग होने वाला है।”
सडको पर प्रदर्शन होगा
नाराज़ शिक्षको ने कहा कि “अगर निर्णयों को शीघ्र नहीं लिया गया और शिक्षको को नियमित नहीं किया गया तो वह इसके लिए सड़को पर उतरेंगे।”
एक शिक्षक ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि “बीते वर्ष फ़रवरी में 750 पदों को नियमित किया गया था लेकिन इसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। हम नाखुश है , हम निरंतर बैठके कर रहे हैं। उनके पास 15 जुलाई तक की समयसीमा थी लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया। सड़को पर उतरने के आलावा हमारे समक्ष कोई विकल्प नहीं है। हर चीज की एक हद होती है।”
गिलगिट बाल्टिस्तान के नागरिकों के साथ हर तरीके से भेदभाव किया जाता है, चाहे वह संसाधनों का वितरण हो या सुविधाएँ या फिर रोजगार। इस नागरिकों में सरकार के खिलाफ एक क्रोध उत्पन्न हो गया है और उन्होंने हालिया मौको पर कई विषयों को लेकर प्रदर्शन किया था।